बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे की रूपरेखा लगभग तैयार हो गई है। तेजस्वी यादव ने कहा कि गठबंधन दलों के बीच सहमति बन चुकी है और जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा होगी। सूत्रों के मुताबिक अंतिम दौर की बातचीत में कुछ सीटों पर सूक्ष्म समायोजन शेष है, जिसके बाद सीट फॉर्मूला सार्वजनिक किया जाएगा।
पृष्ठभूमि
बिहार में महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और वामदल शामिल हैं, जहां आरजेडी सबसे बड़ी घटक पार्टी रही है। पिछली बार भी सीट साझेदारी व्यापक बातचीत और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर तय की गई थी। इस बार चुनावी परिस्थितियां, उम्मीदवारों की स्थानीय पकड़ और पिछले चुनाव के नतीजों के आधार पर फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है, ताकि गठबंधन वोट ट्रांसफर और मैदान में तालमेल को मजबूत कर सके।
बयान
तेजस्वी यादव ने कहा, "बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन दलों के बीच सीटों के बंटवारे की रूपरेखा लगभग तैयार है। जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा होगी।" गठबंधन के भीतर की चर्चाओं से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रमुख घटक दलों के बीच प्रारंभिक सहमति बन चुकी है और अब क्षेत्रवार समायोजन तथा उम्मीदवार चयन के मानदंडों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। गठबंधन नेताओं का फोकस ऐसे सीटों पर है जहां परस्पर दावेदारी रही है या जहां त्रिकोणीय मुकाबले की आशंका है।
प्रतिक्रियाएं
विपक्षी खेमे में इसे लेकर सुगबुगाहट है कि महागठबंधन का स्पष्ट फॉर्मूला सामने आने पर उम्मीदवार चयन की दौड़ तेज होगी और जमीनी कार्यकर्ताओं को दिशा मिलेगी। दूसरी ओर विपक्ष ने बयानबाजी में यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि क्या गठबंधन सभी प्रमुख क्षेत्रों—सीमांचल, मगध, कोसी और भोजपुर—में सहज सीट अदला-बदली कर पाएगा। आम वोटरों और कार्यकर्ताओं के स्तर पर भी सीट बंटवारे को लेकर उत्सुकता है, खासकर उन सीटों पर जहां पिछले चुनाव में करीबी मुकाबला हुआ था।
विश्लेषण
सीट बंटवारे की समय पर घोषणा महागठबंधन के लिए संगठनात्मक तौर पर फायदे की होगी, क्योंकि इससे उम्मीदवारों को प्रचार और बूथ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा। बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण, स्थानीय नेतृत्व और गठबंधन पार्टियों की पारंपरिक वोट-बेस की आपसी संगति निर्णायक कारक रहते हैं। यदि फॉर्मूला इस तरह बनता है कि जाति-समुदाय आधारित वोट बैंक का पूरक प्रभाव पैदा हो, तो कई सीटों पर प्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है। हालांकि, जहां परस्पर दावेदारी है या जहां किसी घटक दल का सिटिंग विधायक/उम्मीदवार रहा है, वहां समन्वय सबसे बड़ी परीक्षा होगा। युवा, महिला और सामाजिक न्याय के एजेंडे पर उम्मीदवार चयन का संकेत मिलना महागठबंधन को संदेशात्मक बढ़त दे सकता है, जबकि क्षेत्रीय संतुलन और शहरी-ग्रामीण सीटों के विभाजन में संतुलन साधना भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा।
निष्कर्ष
महागठबंधन का सीट फॉर्मूला लगभग तैयार होने से चुनावी तस्वीर साफ होने की ओर है। अगले चरण में औपचारिक घोषणा और फिर उम्मीदवारों के नाम अंतिम करने की प्रक्रिया तेज होने की संभावना है।

