2025 के चुनाव से पहले, कांग्रेस का बड़ा दांव: ‘हर घर अधिकार रैली’

बिहार चुनाव 2025: कांग्रेस ‘हर घर अधिकार रैली’ मोतिहारी से शुरू करेगी

कांग्रेस पार्टी ने बिहार में होने वाले 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है। इसकी शुरुआत ‘हर घर अधिकार रैली’ से हो रही है, जिसका नेतृत्व प्रियंका गांधी करेंगी। वे मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) से इस अभियान का बिगुल फूकेंगी।
पार्टी का कहना है कि इस रैली का मुख्य उद्देश्य लोगों को रोजगार, महंगाई, किसानों की समस्याओं, महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जागरूक करना है। रैली का पूरा प्लान और रूट जल्द ही बताया जाएगा। राजनीतिक गलियारों में इसे बिहार में कांग्रेस की सक्रियता के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या है पूरा मामला?

बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए सभी पार्टियां जोर-शोर से तैयारी कर रही हैं। कांग्रेस की ‘हर घर अधिकार रैली’ को लोगों तक पहुंचने और अपनी बात रखने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। मोतिहारी को इसलिए चुना गया है क्योंकि यह जगह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। यहीं से गांधीजी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी। साथ ही, यह क्षेत्र नेपाल की सीमा के पास होने के कारण पलायन, खेती और सीमा सुरक्षा जैसे मामलों में भी संवेदनशील है। राज्य में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला है, और कांग्रेस इस रैली के जरिए अपने कार्यकर्ताओं और वोटरों को एकजुट करना चाहती है। गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर भी बातचीत चल रही है।

कांग्रेस का क्या कहना है?

कांग्रेस के मुताबिक, ‘हर घर अधिकार रैली’ का मकसद घर-घर जाकर लोगों से बात करना है। वे जानना चाहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों का लोगों पर क्या असर पड़ रहा है, खासकर रोजगार, कृषि, महंगाई, स्वास्थ्य, शिक्षा और सरकारी योजनाओं के बारे में। पार्टी के नेताओं को लगता है कि प्रियंका गांधी के आने से महिलाओं, युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों तक उनकी बात आसानी से पहुंचेगी। कांग्रेस का कहना है कि रैली पहले उत्तरी बिहार में होगी, फिर धीरे-धीरे मगध, कोसी और सीमांचल तक जाएगी। रैली की तारीखों और जगहों के बारे में जानकारी जल्द ही दी जाएगी।

लोगों की कैसी प्रतिक्रिया है?

एनडीए के नेताओं का कहना है कि यह कांग्रेस का चुनावी स्टंट है। उन्होंने सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों, कानून व्यवस्था और सरकारी योजनाओं का हवाला दिया। वहीं, इंडिया गठबंधन के दलों ने इसे विपक्षी दलों के एक साथ मिलकर किए जा रहे प्रयास का हिस्सा बताया है। हालांकि, सीटों के बंटवारे और कार्यक्रमों को लेकर अभी बातचीत होनी बाकी है। जानकारों का कहना है कि रैली में कितनी भीड़ आती है और लोगों तक कितना संदेश पहुंचता है, इससे आगे के चरणों पर असर पड़ेगा।

इसका क्या मतलब है?

  • चुनाव पर असर: प्रियंका गांधी की रैली से कांग्रेस के समर्थक, खासकर महिलाएं, युवा और अल्पसंख्यक उत्साहित हो सकते हैं। अगर पार्टी बूथ स्तर पर काम करती है और छोटे-छोटे अभियान चलाती है, तो इसका अच्छा असर दिख सकता है।
  • जाति का गणित: बिहार की राजनीति में ओबीसी, ईबीसी, महादलित और सवर्ण जातियों का बहुत महत्व है। अगर कांग्रेस सामाजिक न्याय के साथ रोजगार और कल्याण के लिए ठोस योजनाएं पेश करती है, तो ईबीसी और युवा वोटरों को अपनी ओर खींच सकती है।
  • क्षेत्रीय रणनीति: मोतिहारी से शुरुआत करने का मतलब है कि पार्टी का ध्यान तिरहुत और सीमावर्ती जिलों पर है। यहां खेती, बाढ़, सड़क और सीमा पार व्यापार जैसे मुद्दे अहम हैं।
  • गठबंधन का गणित: इंडिया गठबंधन में एकता और सीटों का बंटवारा जितना जल्दी होगा, रैली का उतना ही फायदा होगा। अगर तालमेल में कमी रही, तो फायदा कम हो सकता है।
  • मुद्दों पर मुकाबला: भाजपा और एनडीए विकास, कानून व्यवस्था और सरकारी योजनाओं की बात करेंगे, जबकि कांग्रेस महंगाई और रोजगार जैसे मुद्दों को उठाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि लोगों को किसका वादा ज्यादा भरोसेमंद लगता है।

निष्कर्ष

‘हर घर अधिकार रैली’ के जरिए कांग्रेस बिहार में अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है और चुनावी माहौल बनाना चाहती है। रैली की तारीखों, रूट और अन्य दलों के साथ होने वाली रैलियों के बारे में जानकारी मिलने के बाद ही इसका सही असर पता चल पाएगा।

Raviopedia

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