RERA बिहार: मोबाइल पर फ्लैट निर्माण रिपोर्ट, भुगतान-करार डिटेल अब ऑनलाइन

बिहार में अगर आप फ्लैट खरीदने की सोच रहे हैं तो आपके लिए अच्छी ख़बर है! RERA बिहार ने एक नई सुविधा शुरू की है जिससे आप अपने मोबाइल फोन पर ही अपने फ्लैट के निर्माण की प्रोग्रेस रिपोर्ट देख सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बिल्डर को भी पेमेंट, एग्रीमेंट, नक्शे और ज़रूरी कागज़ात ऑनलाइन अपलोड करने होंगे। सरकार का कहना है कि इससे सिस्टम में और ज़्यादा पारदर्शिता आएगी और लोगों के बीच झगड़े कम होंगे। अभी शुरुआत में जो प्रोजेक्ट RERA में रजिस्टर हैं, उनको ये सब जानकारी एक तय समय के अंदर अपडेट करनी होगी, नहीं तो उन पर जुर्माना भी लग सकता है।

ये सब शुरू क्यों हुआ?

दरअसल, रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016 के तहत RERA बनाया गया था ताकि ग्राहकों के हितों की रक्षा हो और बिल्डरों के काम में पारदर्शिता बनी रहे। अब बिहार में इस पोर्टल के शुरू होने से आप मोबाइल पर ही सारी जानकारी देख पाएंगे।

पहले क्या होता था?

पहले अगर आपको ये जानना होता था कि आपका फ्लैट कितना बना है, कब आपको पैसे देने हैं या एग्रीमेंट में क्या लिखा है, तो आपको या तो साइट पर जाना पड़ता था, या फिर कस्टमर केयर को फोन करना पड़ता था, या RTI लगानी पड़ती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब आप घर बैठे ही ये सब जान पाएंगे कि किस स्टेज पर काम चल रहा है, कब आपको डिमांड लेटर मिलेगा, एग्रीमेंट कब होगा, आपको फ्लैट कब मिलेगा, और अगर कोई शिकायत है तो उसका क्या स्टेटस है।

इसका क्या फायदा होगा?

सरकार का मानना है कि इससे शहरों में रहने वाले लोगों को फायदा होगा, खासकर मिडिल क्लास को। उनको लगेगा कि सरकार उनके लिए काम कर रही है और हर चीज में जवाबदेही तय हो रही है। आने वाले चुनावों में भी इसका फायदा मिल सकता है।

अधिकारियों का क्या कहना है?

शहरी विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बिल्डरों को हर महीने प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस रिपोर्ट, पैसे की डिमांड, पेमेंट की रसीदें और ज़रूरी कानूनी कागज़ात ऑनलाइन डालने होंगे। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन पर जुर्माना लगेगा, या फिर उनके प्रोजेक्ट पर रोक भी लग सकती है।
RERA बिहार के एक बड़े अफसर ने ये भी कहा है कि वो पोर्टल को ई-स्टांपिंग, ई-रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा से भी जोड़ने की सोच रहे हैं। इससे फ्लैट खरीदने से लेकर कब्ज़ा लेने तक का पूरा प्रोसेस ऑनलाइन हो जाएगा।

बिल्डरों की क्या राय है?
बिल्डर संगठनों का कहना है कि वो पारदर्शिता के साथ हैं, लेकिन सर्वर ठीक से काम करना चाहिए, फाइल अपलोड करने की लिमिट ठीक होनी चाहिए, और जो पुराने प्रोजेक्ट हैं उनका डेटा भी ठीक से माइग्रेट होना चाहिए। इसके लिए सरकार को एक सही तरीका बताना चाहिए।

खरीदारों की क्या मांग है?

फ्लैट खरीदारों के ग्रुप ने इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने ये भी कहा है कि निर्माण के अलग-अलग चरणों की फोटो भी वेबसाइट पर होनी चाहिए, साइट इंस्पेक्शन रिपोर्ट भी होनी चाहिए, और एस्क्रो अकाउंट का स्टेटस भी दिखना चाहिए। इससे ये पता चलेगा कि जितना काम हुआ है, उतने पैसे दिए गए हैं या नहीं।

किसने क्या कहा?

  • सरकार (JDU-BJP): सरकार का कहना है कि ये डिजिटल सुशासन का एक अच्छा उदाहरण है। इससे फ्लैट खरीदने वालों का भरोसा बढ़ेगा और लोग रियल एस्टेट में और ज़्यादा पैसा लगाएंगे।
  • विपक्ष (RJD, कांग्रेस): विपक्ष का कहना है कि सिर्फ घोषणा करने से कुछ नहीं होगा। डेटा को अपडेट करना ज़रूरी है, सर्वर की स्पीड अच्छी होनी चाहिए, हर जिले में हेल्पडेस्क होनी चाहिए, और गाँव और शहर के लोगों के बीच डिजिटल खाई को भी पाटना होगा। तभी ये सिस्टम सही से काम करेगा। उन्होंने ये भी मांग की है कि लोगों के डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सरकार को एक अच्छी पॉलिसी बनानी चाहिए।
  • आम खरीदार: आम खरीदारों की शुरुआती राय अच्छी है, खासकर पटना, गया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर जैसे शहरों में, जहाँ प्रोजेक्ट में देरी और ज़्यादा पैसे मांगने की शिकायतें आती रहती हैं।

इसका क्या असर होगा?

  • राजनीति: इससे शहरों में रहने वाले मिडिल क्लास और जो लोग दूसरे शहरों में रहते हैं और यहाँ इन्वेस्ट करते हैं, उनके बीच सरकार की अच्छी इमेज बनेगी। विपक्ष को ये दिखाना होगा कि सिस्टम में क्या कमियाँ हैं, डिजिटल खाई कैसे लोगों को परेशान कर रही है, और शिकायतें कितनी जल्दी दूर होती हैं।
  • चुनाव: बड़े शहरों में घर खरीदने वाले लोग जाति के आधार पर नहीं, बल्कि उपभोक्ता अधिकार के मुद्दे पर एक साथ आते हैं। इसलिए इसका असर चुनावों पर भी दिख सकता है। लोग ये देखेंगे कि सरकार ने उनके लिए क्या काम किया है।

क्या खतरे हैं?

तकनीकी दिक्कतें, बिल्डर और RERA के बीच तालमेल की कमी, पुराने प्रोजेक्ट का डेटा, और लोगों के डेटा को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती है। अगर डेटा समय पर अपडेट नहीं हुआ या बिल्डरों पर सही कार्रवाई नहीं हुई, तो सरकार को इसका नुकसान भी हो सकता है।

सीधी बात

मोबाइल पर निर्माण रिपोर्ट और बिल्डर की जानकारी देने की पहल से खरीदारों को सही समय पर जानकारी मिलेगी और झगड़े कम होंगे। अब ये देखना होगा कि ये सिस्टम कैसे काम करता है, डेटा कितनी जल्दी अपडेट होता है, हेल्पडेस्क और शिकायत निवारण सिस्टम कितना अच्छा है, और लोगों का डेटा कितना सुरक्षित है।

Raviopedia

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