बिहार की सीमा पर अब 393 चेक पोस्ट होंगे: शराब और हथियारों की तस्करी पर कसेगा शिकंजा
राज्य सरकार ने फैसला किया है कि सीमा से लगे जिलों में तस्करी को रोकने के लिए 393 नए चेक पोस्ट बनाए जाएंगे। यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है ताकि शराब, हथियार और नशीले पदार्थों की जो अवैध तरीके से आवाजाही होती है, उस पर लगाम लगाई जा सके। ये सारे चेक पोस्ट एक साथ नहीं, बल्कि धीरे-धीरे बनाए जाएंगे। इनमें तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, निगरानी रखी जाएगी और अलग-अलग सुरक्षा बलों के जवान तैनात किए जाएंगे। सरकार का कहना है कि इससे सीमा पार होने वाली गलत गतिविधियों पर हर समय नजर रखी जा सकेगी।
जानकारी:
बिहार में शराब पर पाबंदी लगने के बाद से ही सीमावर्ती जिलों से शराब की तस्करी एक बड़ी दिक्कत बनी हुई है। इसके साथ ही, हथियारों और नशीले पदार्थों की गैरकानूनी सप्लाई को लेकर भी पुलिस और सीमा सुरक्षा एजेंसियों पर लगातार दबाव बना हुआ है। अभी तक जो चौकियां बनी हुई हैं और जो बैरियर लगाए गए हैं, उनसे ठीक से निगरानी नहीं हो पा रही थी। इसकी वजह से एक राज्य से दूसरे राज्य और दूसरे देशों की सीमा पर तालमेल की कमी दिख रही थी। सरकार का मानना है कि 393 चेक पोस्ट की जो नई व्यवस्था बनाई जा रही है, उससे कानून-व्यवस्था बनी रहेगी, राजस्व सुरक्षित रहेगा और चुनाव के दौरान शांति बनी रहेगी।
सरकार का क्या कहना है:
सरकार का कहना है कि जो नई चेक पोस्ट व्यवस्था होगी, उसमें ANPR कैमरे, सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन से निगरानी, बॉडी-वॉर्न कैमरे और डिजिटल एंट्री-एग्जिट लॉग जैसी चीजें होंगी। बड़े अफसरों के मुताबिक, पुलिस, उत्पाद शुल्क विभाग, STF और सीमा सुरक्षा एजेंसियों के जवान एक साथ तैनात किए जाएंगे। साथ ही, जहां पर ज्यादा खतरा है, वहां पर डॉग स्क्वाड और मोबाइल इंटरसेप्शन यूनिट्स भी रहेंगी। सूत्रों की मानें तो जिन रास्तों पर खतरा ज्यादा है, वहां रात में कड़ी चेकिंग की जाएगी, गाड़ियों को अचानक से स्कैन किया जाएगा और संदिग्ध सामान को सील कर दिया जाएगा। नीति के जानकारों का कहना है कि डिजिटल ट्रैकिंग और अलग-अलग एजेंसियों के बीच जानकारी साझा करने से उन रास्तों का पता लगाना आसान हो जाएगा, जहां से तस्करी होती है, और तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।
विपक्ष और बाकी लोगों की राय:
विपक्ष ने यह सवाल उठाया है कि इन नई चौकियों की वजह से आम लोगों और छोटे व्यापारियों को परेशानी नहीं होनी चाहिए, इसलिए जरूरी है कि सब कुछ पारदर्शी तरीके से हो और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी इंतजाम किए जाएं। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा, अपराध को रोकने और युवाओं को नशे से बचाने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी है। परिवहन और व्यापार से जुड़े संगठनों ने कहा है कि जो गाड़ियां सही तरीके से माल लेकर जा रही हैं, उनके लिए फास्ट-ट्रैक लेन, ई-पास और समय पर चेकिंग की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि सप्लाई में कोई रुकावट न आए। कुछ सामाजिक संगठनों ने यह भी कहा है कि तस्करी को रोकने के साथ-साथ नशा छुड़ाने के लिए काउंसलिंग, पुनर्वास केंद्र और सीमा पार तालमेल भी जरूरी है।
इसका क्या असर होगा:
- राजनीति पर असर: अगर सरकार कानून-व्यवस्था और शराबबंदी को लागू करने पर ध्यान देती है, तो इससे उसकी छवि अच्छी बन सकती है। साथ ही, जो लोग महिलाओं और सामाजिक न्याय को ज्यादा पसंद करते हैं, उनके लिए भी यह एक अच्छा संकेत होगा।
- चुनाव पर असर: अगर निगरानी ठीक से होती है और आम लोगों को कम परेशानी होती है, तो इसका फायदा सत्ता पक्ष को मिल सकता है। लेकिन अगर लोगों को परेशान किया जाता है, देरी होती है या रिश्वतखोरी की शिकायतें आती हैं, तो विपक्ष इसे चुनाव में मुद्दा बना सकता है।
- जाति और समाज पर असर: सीमावर्ती जिलों में रहने वाले परिवहन, छोटे व्यापार और ठेला चलाने वाले लोगों पर इसका असर पड़ सकता है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर लोग ओबीसी/ईबीसी और गरीब तबकों से जुड़े होते हैं। इसलिए, उनके लिए आसान और पारदर्शी नियम होने चाहिए, ताकि लोगों में नाराजगी न हो।
- प्रशासन के लिए चुनौती: 393 चेक पोस्ट का मतलब है कि लोगों, उपकरणों, ट्रेनिंग और रखरखाव पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च होगा। इसलिए, सफलता तभी मिलेगी जब रियल-टाइम में जानकारी साझा की जाएगी, स्वतंत्र रूप से निगरानी की जाएगी और जवाबदेही तय की जाएगी।
आखिर में:
सीमा पर 393 चेक पोस्ट तस्करी को रोकने के लिए एक बड़ा कदम है। लेकिन इसके बाद पारदर्शी नियम, तकनीकी एकीकरण और लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक अच्छा सिस्टम बनाना भी बहुत जरूरी होगा।
