बिहार के उद्योग मंत्री नितीश मिश्रा का कहना है कि अब लोग बिहार लौट रहे हैं, क्योंकि यहां रोजगार के मौके बढ़ गए हैं। सरकार का कहना है कि नए कारखाने खुल रहे हैं, पुराने बढ़ रहे हैं और लोगों को हुनर के हिसाब से काम मिल रहा है, इसलिए जो लोग पहले काम के लिए बाहर जाते थे, वो अब वापस आ रहे हैं। खास कर युवा और मजदूर वर्ग के लोग।
लेकिन विपक्ष को इस बात पर शक है। उनका कहना है कि सरकार बताए कि कितने लोग वापस आए हैं और उन्हें कैसी नौकरियां मिली हैं। राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा है कि शायद सरकार चुनाव को देखते हुए माहौल बनाने की कोशिश कर रही है।
क्या है मामला?
बिहार से हर साल बहुत सारे लोग दूसरे शहरों और राज्यों में काम करने जाते हैं। ये सिलसिला कई सालों से चल रहा है।
कोरोना के समय में कुछ लोग वापस आए थे, पर वो मजबूरी में था। ऐसा नहीं था कि वो हमेशा के लिए वापस आ गए थे।
लेकिन अब सरकार कह रही है कि उन्होंने कुछ नीतियां बदली हैं, जैसे कि छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना और खाने-पीने की चीजों से जुड़े उद्योगों को शुरू करना। इससे लोगों को वापस आने की वजह मिल रही है।
मंत्री जी का क्या कहना है?
- नितीश मिश्रा का कहना है कि बिहार में अब उद्योग बढ़ रहे हैं और लोग अपना बिजनेस भी शुरू कर रहे हैं। इससे लोगों को उनके अपने इलाके में ही काम मिल रहा है और वो वापस आ रहे हैं।
- सरकार के लोग ये भी कह रहे हैं कि छोटे और मध्यम उद्योगों के साथ-साथ सर्विस सेक्टर और स्टार्टअप भी बढ़ रहे हैं। इससे युवाओं को अपने जिले में ही काम मिल रहा है।
- उद्योग जगत के लोगों का कहना है कि बिहार में कच्चा माल आसानी से मिल जाता है, जमीन और लाइसेंस आसानी से मिल जाते हैं और सामान लाने-ले जाने में भी पहले से ज्यादा आसानी हो गई है। इसलिए यहां निवेश करना फायदेमंद है।
- लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि लोगों का वापस आना तभी माना जाएगा जब उन्हें अच्छी सैलरी मिले, उनकी नौकरी सुरक्षित हो और काम करने की जगह पर भी अच्छा माहौल हो।
विपक्ष क्या कह रहा है?
- विपक्ष (RJD-कांग्रेस) चाहता है कि सरकार बताए कि कितने लोग वापस आए हैं, उन्हें किस तरह की नौकरियां मिली हैं और उनकी सैलरी कितनी है।
- विपक्षी नेताओं का आरोप है कि बिहार से लोगों के बाहर जाने की असली वजह तो ये है कि यहां सैलरी कम है, अच्छी नौकरियां नहीं हैं और लोगों के पास वो हुनर नहीं है जो उद्योगों को चाहिए। ये सब चीजें अभी भी वैसी ही हैं।
- लेकिन एनडीए के नेता और सरकार के समर्थक मंत्री जी की बात का समर्थन कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक-दो साल में इसके और भी अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे।
आम लोगों की क्या राय है?
कुछ लोग जो वापस आए हैं, उनका कहना है कि उन्हें अपने घर के पास काम मिल गया है और वो अपने परिवार के साथ रह रहे हैं, जो कि बहुत अच्छा है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सैलरी और तरक्की को लेकर थोड़ा परेशान हैं।
इसका क्या मतलब है?
- राजनीति: अगर ये साबित हो जाता है कि लोग सच में वापस आ रहे हैं, तो सरकार ये कह सकती है कि उन्होंने रोजगार के लिए बहुत काम किया है।
- चुनाव: युवाओं को ये बात अच्छी लग सकती है कि उन्हें उनके घर के पास ही नौकरी मिल रही है। इससे चुनाव में भी फायदा हो सकता है। खासकर उन इलाकों में जहां से बहुत लोग बाहर जाते हैं।
- जाति: अगर नौकरियों के मौके हर जाति और समुदाय के लोगों को मिलते हैं, तो लोग जाति के नाम पर वोट देने के बजाय विकास के नाम पर वोट दे सकते हैं।
- नीतियां: लोगों को उनके हुनर के हिसाब से काम मिलना चाहिए, नौकरियां परमानेंट होनी चाहिए, औरतों को भी काम करने के मौके मिलने चाहिए और हर जिले में उद्योग होने चाहिए। ये सब चीजें तय करेंगी कि लोग बिहार में ही रुकेंगे या नहीं।
निष्कर्ष
मंत्री जी के बयान से बिहार में लोगों के वापस आने को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। लेकिन ये तभी सच माना जाएगा जब सरकार सही आंकड़े दिखाए। आने वाले समय में ये देखना होगा कि किस सेक्टर में कितनी नौकरियां मिली हैं, लोगों की सैलरी कितनी बढ़ी है और किस जिले में कितना निवेश हुआ है।
