विष्वकर्मा पूजा पर श्रमिकों को सौगात: नीतीश कुमार सरकार का बड़ा कदम
पटना: विष्वकर्मा पूजा के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने 1, अणे मार्ग पर आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के 16.4 लाख निर्माण श्रमिकों के खाते में सीधे 802.46 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। इस राशि में श्रमिकों को हर साल मिलने वाली 5,000 रुपये की वस्त्र सहायता भी शामिल है।
यह योजना बिहार बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड चला रहा है। इसकी शुरुआत 2020 में हुई थी। पहले इस योजना के तहत श्रमिकों को 2,500 रुपये मिलते थे, जिसे इस बार बढ़ाकर 5,000 रुपये कर दिया गया है। जानकारों का मानना है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार का यह कदम श्रमिक वर्ग तक अपनी बात पहुंचाने का एक तरीका है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। जेडीयू और बीजेपी एक बार फिर साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। 2024 की शुरुआत में जेडीयू महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गई थी और नीतीश कुमार ने 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। जेडीयू नेताओं ने यह भी कहा है कि 2025 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। 2020 में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं, जबकि राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। बीजेपी को 74 और जेडीयू को 43 सीटें मिली थीं। इस बार मुकाबला और भी कड़ा होने की उम्मीद है।
सरकार का फैसला
सरकार ने वस्त्र सहायता योजना के तहत 802.46 करोड़ रुपये सीधे 16.4 लाख श्रमिकों के खातों में भेजे हैं। इस बार हर श्रमिक को 5,000 रुपये मिले हैं। कार्यक्रम में 'मुख्यमंत्री प्रतिज्ञा योजना' पोर्टल भी लॉन्च किया गया, जिसके जरिए 2025-26 में 5,000 और उसके बाद हर साल 20,000 इंटर्नशिप देने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार का कहना है कि वह श्रमिकों के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने का प्रयास है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह एनडीए का एक प्रभावी संदेश है।
सोशल मीडिया पर चर्चा
इस घोषणा को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया। मीडिया और सरकारी अकाउंट्स ने 16 लाख श्रमिकों को 5,000 रुपये ट्रांसफर करने की जानकारी दी। यह योजना बिहार बीओसीडब्ल्यू वर्कर मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए चलाई जा रही है, जिससे लाभार्थियों की पहचान और पैसे ट्रांसफर करने में आसानी होती है। श्रमिक विभाग का कहना है कि इस साल विष्वकर्मा पूजा पर राशि का वितरण इसलिए किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसका संदेश पहुंचे।
विश्लेषण
विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और यह वित्तीय सहायता सीधे श्रमिक वर्ग तक पहुंच रही है। जानकारों का मानना है कि यह एनडीए गठबंधन को मजबूत करने वाला कदम है। बिहार की राजनीति में अक्सर वोट शेयरिंग से ही नतीजे तय होते हैं। सर्वे बताते हैं कि अगर एनडीए एकजुट रहता है तो विपक्ष के लिए मुश्किल हो सकती है। जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी बातचीत चल रही है और माना जा रहा है कि दोनों पार्टियां लगभग बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
निर्माण श्रमिकों की एक बड़ी संख्या शहरों और छोटे कस्बों में रहती है। ऐसे में सरकार की इस योजना का असर चुनाव पर पड़ सकता है। श्रमिकों और युवाओं के लिए सरकार की यह योजना (5,000 रुपये की सहायता और इंटर्नशिप पोर्टल) एनडीए की रणनीति का हिस्सा है। विपक्ष को भी सामाजिक न्याय, रोजगार और महंगाई जैसे मुद्दों पर ज्यादा मजबूती से अपनी बात रखनी होगी।
जनता पर असर
पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को 5,000 रुपये मिलने से त्योहारों के खर्चों और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे 16.4 लाख परिवारों को राहत मिलेगी। राज्य के बीओसीडब्ल्यू सिस्टम के जरिए लाभार्थियों की पहचान और पैसे ट्रांसफर करने की प्रक्रिया आसान हो गई है। युवाओं के लिए प्रतिज्ञा पोर्टल पर 2025-26 में 5,000 और उसके बाद हर साल 20,000 इंटर्नशिप देने की योजना है, जिससे युवाओं को रोजगार मिलने में मदद मिलेगी।
विशेषज्ञों की राय
इंडिया टुडे-सीवोटर के अनुसार, बिहार में चुनाव में गणित का खेल अहम होता है। अगर एनडीए एकजुट रहता है तो विपक्ष के लिए मुश्किल हो सकती है। जेडीयू नेताओं का कहना है कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, जिससे एनडीए की रणनीति साफ है। राजनीतिक विश्लेषकों ने इस सहायता को मास्टरस्ट्रोक बताया है, जबकि विपक्ष का कहना है कि यह चुनाव में फायदा उठाने का प्रयास है।
निष्कर्ष
निर्माण श्रमिकों को 802.46 करोड़ रुपये की सहायता और प्रतिज्ञा पोर्टल की शुरुआत एनडीए की कल्याण और कौशल की रणनीति को दिखाती है। चुनाव नजदीक आते ही यह कदम सामाजिक सुरक्षा और रोजगार के मुद्दों पर असर डालेगा। सीटों के बंटवारे में तालमेल और एकजुट होकर चुनाव लड़ना एनडीए के लिए फायदेमंद हो सकता है।
