भारत में, UPI ने रीयल-टाइम पेमेंट में रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अगस्त 2025 में, 20 अरब से ज़्यादा लेनदेन हुए थे। यह दिखाता है कि लोग इसे अपना रहे हैं और डिजिटल अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत हो रही है।
इसी तरह, रिज़र्व बैंक का डिजिटल रुपया (e₹) भी रिटेल और थोक बाज़ारों में बढ़ रहा है। यह भविष्य में पैसे के डिजिटल होने और प्रोग्रामेबल मनी की संभावनाओं को टेस्ट कर रहा है।
दुनिया भर में CBDC पर तेज़ी से काम हो रहा है। कई देश अभी भी इसे टेस्ट कर रहे हैं, जिससे पता चलता है कि पेमेंट सिस्टम में जल्द ही बड़ा बदलाव होने वाला है।
अभी क्या हो रहा है:
अगस्त 2025 में, भारत में UPI से हर महीने 20,008.31 मिलियन लेनदेन हुए, जिनकी कीमत ₹24.85 लाख करोड़ थी। UPI पर 688 बैंक हैं, जो दिखाते हैं कि यह कितना बड़ा सिस्टम है। यह बताता है कि देश में आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ रही हैं और लोग डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं।
e₹ (डिजिटल रुपया) को मार्च 2025 तक 17 बैंकों और लगभग 60 लाख ग्राहकों तक पहुँचा दिया गया था। RBI का कहना है कि यह एक डिजिटल लीगल टेंडर है, जो नोटों की तरह ही है। रिटेल और थोक में इसका इस्तेमाल हो रहा है और इसमें ऑफलाइन पेमेंट और प्रोग्रामेबिलिटी जैसे फीचर्स भी हैं।
दुनिया भर में CBDC को ट्रैक करने वाले बताते हैं कि कई देश CBDC का मूल्यांकन कर रहे हैं, इसे बना रहे हैं और टेस्ट कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि भविष्य में पैसे को लेकर देशों में रेस लगी हुई है।
UPI तेज़ी से दूसरे देशों में भी फैल रहा है। NIPL 2025 में 4–6 नए देशों में शुरू होने की प्लानिंग कर रहा है। अभी कई देशों में इसे इस्तेमाल किया जा रहा है, जैसे सिंगापुर के PayNow के साथ इसका लिंक है।
टेक्निकल जानकारी:
- डिजिटल रुपया (e₹) एक डिजिटल पैसा है जिसे RBI ने जारी किया है। यह नोटों और सिक्कों की तरह ही है।
- इसे बैंक के वॉलेट में रखकर QR कोड या पी2पी से खर्च किया जा सकता है। इस पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।
- पायलट प्रोजेक्ट में ऑफलाइन लेनदेन और प्रोग्रामेबिलिटी (जैसे खास DBT, भत्तों पर खर्च की शर्तें) जैसे नए आइडिया का टेस्ट हो रहा है।
- UPI एक ऐसा सिस्टम है जो 24 घंटे काम करता है और बैंकों के बीच ऐप्स, QR कोड या वर्चुअल एड्रेस के ज़रिए पेमेंट को आसान बनाता है।
- NPCI के आँकड़ों से पता चलता है कि इसका इस्तेमाल कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है।
- दूसरे देशों में इस्तेमाल के लिए, UPI को विदेशी पेमेंट सिस्टम से जोड़ा जा रहा है ताकि दुकानों में QR कोड से पेमेंट और पैसे भेजना आसान हो सके।
- दुनिया भर में CBDC के लिए ज़रूरी है कि साइबर सुरक्षा अच्छी हो, प्राइवेसी बनी रहे और नियमों का पालन हो। इस पर सरकारें और सेंट्रल बैंक ध्यान दे रहे हैं।
फायदे:
- डिजिटल पेमेंट से लेनदेन का खर्च कम होता है और यह पता लगाना आसान होता है कि पैसा कहाँ जा रहा है। इससे MSMEs, ई-कॉमर्स और लोकल कारोबार को फायदा होता है।
- e₹ से पेमेंट को प्रोग्राम किया जा सकता है, जिससे सब्सिडी और ऑफलाइन इस्तेमाल जैसी चीज़ें आसान हो जाती हैं। इससे पैसे का सही इस्तेमाल होता है और सरकार की योजनाएँ बेहतर तरीके से लागू होती हैं।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी सेवाओं में डिजिटल पेमेंट से पारदर्शिता आती है और भुगतान जल्दी होता है, जिससे लोगों को समय पर पैसा मिलता है।
- फ़िनटेक, साइबर सुरक्षा, पेमेंट प्रोसेसिंग और रेगटेक जैसे सेक्टरों में नौकरियाँ बढ़ रही हैं और नए कारोबार शुरू हो रहे हैं।
चुनौतियाँ:
- CBDC और UPI दोनों के लिए साइबर सुरक्षा और सिस्टम को ठीक रखना ज़रूरी है। हमलों से बचाना, सिस्टम को फेल होने से बचाना और हमेशा चालू रखना ज़रूरी है।
- e₹ में प्राइवेसी का ध्यान रखा गया है, लेकिन लेनदेन की गोपनीयता और निगरानी के बीच सही संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है। इसके लिए सरकार को नीतियाँ बनानी होंगी और तकनीकी समाधान निकालने होंगे।
- टेक्निकल तौर पर सिस्टम को बड़ा करना और अलग-अलग सिस्टम को जोड़ना मुश्किल है। ऑफलाइन पेमेंट, प्रोग्रामेबिलिटी और दूसरे देशों में इस्तेमाल के लिए सिस्टम को आसान बनाना होगा।
- नियम और ग्राहक सुरक्षा ज़रूरी है। AML/CFT, ग्राहक अधिकार, विवादों का समाधान और नए आइडिया को सही तरीके से लागू करने के लिए नियम बनाने होंगे।
भारत में इसका भविष्य:
RBI की रिपोर्ट के अनुसार, e₹-R पायलट में ऑफलाइन और प्रोग्रामेबिलिटी के इस्तेमाल को बढ़ाया जा रहा है। सरकार की योजनाओं में पेमेंट के लिए भी इसका इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है।
UPI को दुनिया भर में फैलाने के लिए NIPL 2025 में 4–6 नए देशों में शुरू होने की प्लानिंग कर रहा है। PayNow–UPI जैसे लिंक और BIS के Project Nexus जैसे प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है।
भारत में UPI का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है, जो दिखाता है कि डिजिटल पेमेंट के लिए देश में अच्छा माहौल है।
दुनिया से तुलना:
कई देश CBDC पर रिसर्च कर रहे हैं, उसे बना रहे हैं और टेस्ट कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि डिजिटल पैसे की ओर दुनिया तेज़ी से बढ़ रही है।
UPI को दूसरे देशों में भी तेज़ी से अपनाया जा रहा है। फ्रांस, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और UAE जैसे देशों में इसे इस्तेमाल किया जा रहा है। 2025 में 4–6 नए देशों में इसे शुरू करने का लक्ष्य है।
UPI–PayNow जैसे लिंक से दूसरे देशों में पैसे भेजना आसान और सस्ता हो जाता है। यह उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जो विदेश में रहते हैं या घूमने जाते हैं।
एक्सपर्ट की सलाह:
EY का कहना है कि डिजिटल रुपया को अपनाने के लिए ज़रूरी है कि यह अलग-अलग सिस्टम से जुड़ सके, इस्तेमाल करने में आसान हो और बैंक/दुकानदार इसे इस्तेमाल करने के लिए तैयार हों।
PwC का कहना है कि CBDC को सफल बनाने के लिए ज़रूरी है कि इसे दो लेवल पर बाँटा जाए, प्राइवेसी का ध्यान रखा जाए और साइबर सुरक्षा मजबूत हो।
इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि e₹ पायलट को धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए और लोगों से राय लेकर बदलाव करने चाहिए, ताकि लॉन्च से पहले रिस्क और फायदे का पता चल सके।
निष्कर्ष:
UPI का फैलाव और दूसरे देशों में इसका इस्तेमाल बढ़ना दिखाता है कि भारत डिजिटल पेमेंट में आगे है। e₹ पायलट प्रोग्रामेबिलिटी और ऑफलाइन सुविधाओं के साथ भविष्य के डिजिटल पैसे को टेस्ट कर रहा है। दुनिया भर के ट्रेंड, सरकार के सपोर्ट और इंडस्ट्री के साथ मिलकर काम करने से भारत का फ़िनटेक सेक्टर सुरक्षित डिजिटल लेनदेन की ओर बढ़ रहा है।


