भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग: आत्मनिर्भर भारत

भारत सेमीकंडक्टर बनाने में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार इसमें खूब पैसा लगा रही है और नीतियां बनाकर मदद कर रही है। ₹76,000 करोड़ का 'Semicon India' प्रोग्राम और टाटा-PSMC, माइक्रोन और CG Power जैसी परियोजनाएं देश को इस मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही हैं।

पूरी दुनिया में भी सेमीकंडक्टर का कारोबार बढ़ रहा है। 2024 में यह लगभग $628 बिलियन तक पहुंच गया और अनुमान है कि 2025 में यह $700 बिलियन से भी ज्यादा हो जाएगा। इससे भारत के लिए अवसर भी हैं और मुकाबला भी।

परिचय:

सेमीकंडक्टर चिप्स हर तरह की डिजिटल तकनीक के लिए जरूरी हैं, जैसे कि मोबाइल, ऑटो, हेल्थकेयर डिवाइस, क्लाउड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। इसलिए, इन्हें देश में ही बनाना बहुत जरूरी है, ताकि हम रणनीतिक और आर्थिक रूप से मजबूत रहें। सरकार ने 'Semicon India Programme' के तहत ₹76,000 करोड़ का बजट रखा है। इसका मकसद है कि 'इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन' के जरिए फैब, ATMP/OSAT और डिजाइन इकोसिस्टम को मजबूत किया जाए।

अभी क्या हो रहा है:

माइक्रोन का सैनंद (गुजरात) ATMP/OSAT प्रोजेक्ट लगभग पूरा होने वाला है। 2025-26 तक यह शुरू हो जाएगा और इससे हजारों लोगों को नौकरी मिलेगी। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स-PSMC का धोलेरा (गुजरात) सेमीकंडक्टर फैब भी बन रहा है। इसकी क्षमता 50,000 वेफर प्रति माह होगी। यह पावर मैनेजमेंट ICs, MCU आदि के लिए निवेश और तकनीकी मदद का बड़ा केंद्र बनेगा। इसके अलावा, CG Power–Renesas–Stars Microelectronics की OSAT यूनिट सैनंद में बन रही है। इसका लक्ष्य है कि 15 मिलियन यूनिट/दिन की क्षमता हो और यह ऑटो, इंडस्ट्रियल और कंज्यूमर सेक्टर को सपोर्ट करे। दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की बिक्री 2024 में $627.6 बिलियन रही और अनुमान है कि 2025 में यह लगभग 11% बढ़ेगी। इसकी वजह है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग की मांग।

टेक्नोलॉजी की जानकारी: 

चिप बनाने के लिए सिलिकॉन वेफर पर कई लेयर में माइक्रो-पैटर्न बनाए जाते हैं। इसके लिए फोटोलिथोग्राफी, डिपोज़िशन, आयन-इम्प्लांटेशन, एचिंग और CMP जैसे प्रोसेस का इस्तेमाल होता है। लिथोग्राफी में, रोशनी को 'मास्क/रेटिकल' से गुजारकर वेफर पर पैटर्न बनाया जाता है। इसके लिए डीप-यूवी से लेकर EUV तक के सिस्टम इस्तेमाल होते हैं। एडवांस्ड पैकेजिंग जैसे CoWoS और चिपलेट-आधारित 2.5D/3D इंटीग्रेशन से HBM मेमोरी और लॉजिक को पास लाकर बैंडविड्थ/ऊर्जा दक्षता बढ़ाई जाती है, जो एआई/डेटा सेंटर के लिए जरूरी है। सिलिकॉन के साथ-साथ SiC/GaN जैसे कंपाउंड सेमीकंडक्टर भी इस्तेमाल हो रहे हैं, खासकर पावर इलेक्ट्रॉनिक्स में।

फायदे:

देश में ही सेमीकंडक्टर बनने से सप्लाई-चेन में दिक्कतें कम होंगी, मैन्युफैक्चरिंग क्षमता बढ़ेगी और इलेक्ट्रॉनिक्स/ऑटो/टेलीकॉम जैसे सेक्टरों को फायदा होगा। इससे नौकरियां भी बढ़ेंगी और लोगों को नई चीजें सीखने को मिलेंगी। माइक्रोन ATMP से लगभग 5,000 डायरेक्ट और 15,000 इनडायरेक्ट नौकरियां मिलने का अनुमान है, जबकि टाटा-PSMC फैब से 20,000 से ज्यादा स्किल्ड जॉब्स का लक्ष्य है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चिप्स और एडवांस्ड पैकेजिंग की मांग से सेमीकंडक्टर डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग में नए कोर्स और लैब खुलेंगे।

चुनौतियां:

लीडिंग-एज मैन्युफैक्चरिंग के लिए EUV जैसे मुश्किल उपकरण, अल्ट्रा-क्लीनरूम और ऑटोमेशन की जरूरत होती है, जिसमें बहुत पैसा, तकनीक और टैलेंट चाहिए। पूरी दुनिया में जियोपॉलिटिकल रिस्क, स्किल की कमी और सप्लाई-चेन की दिक्कतें भी हैं। हार्डवेयर-सिक्योरिटी और भरोसेमंद मैन्युफैक्चरिंग के लिए 'सिक्योर एन्क्लेव' जैसे प्रोग्राम जरूरी हैं, क्योंकि साइबर/सप्लाई-चेन सिक्योरिटी बहुत जरूरी हो गई है। नीतियों और मंजूरी में देरी भी हो सकती है।

भारत में इसका भविष्य:

सरकार फैब, ATMP/OSAT और डिजाइन—तीनों पर ध्यान दे रही है। इसमें 50% तक वित्तीय मदद, डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव और ISM के जरिए प्रोजेक्ट-सपोर्ट शामिल है। धोलेरा फैब, सैनंद और असम की OSAT यूनिट्स और अन्य प्रोजेक्ट्स 2025-26 से शुरू हो जाएंगे और लोकल वैल्यू-एडिशन बढ़ाएंगे। 2024-25 में कई यूनिट्स को मंजूरी मिली है और 2025 में और भी प्रोजेक्ट्स शुरू होने वाले हैं। इससे 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।

दुनिया से तुलना:

अमेरिका CHIPS and Science Act के तहत इंटेल, TI और TSMC एरिज़ोना जैसे प्रोजेक्ट्स को बहुत पैसा दे रहा है, ताकि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग और पैकेजिंग क्षमता बढ़े। ताइवान में TSMC 2nm का प्रोडक्शन 2025 की दूसरी छमाही में शुरू करने वाला है, जिससे उसकी लीडिंग-एज फाउंड्री पोजीशन और मजबूत होगी। ग्लोबल मार्केट 2024 में रिकवर हुआ है और 2025 में लगभग 11% बढ़ने का अनुमान है। इससे फैब/OSAT/पैकेजिंग में निवेश बढ़ रहा है।

एक्सपर्ट की राय:

रेनेसास के CEO ने कहा है कि भारत उनकी ग्लोबल रणनीति का अहम हिस्सा है और CG Power के साथ OSAT निवेश के जरिए भारतीय इकोसिस्टम को मजबूत करने पर उनका भरोसा है। डेलॉइट की 2025 आउटलुक के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस्ड पैकेजिंग और कैपेक्स-एक्सपैंशन से ग्रोथ होगी, लेकिन टैलेंट और सप्लाई-चेन पर ध्यान रखना होगा। भारतीय परिप्रेक्ष्य में, नीति-समर्थन और बड़े प्रोजेक्ट्स को बनाए रखना जरूरी है।

निष्कर्ष:

भारत का सेमीकंडक्टर रोडमैप अब फैब, ATMP/OSAT और डिजाइन—तीनों में आगे बढ़ रहा है। इससे नौकरियां बढ़ेंगी, वैल्यू-एडिशन होगा और देश रणनीतिक रूप से आत्मनिर्भर बनेगा। अगले 2-3 सालों में माइक्रोन, टाटा-PSMC और CG Power जैसी यूनिट्स का प्रोडक्शन और ग्लोबल डिमांड मिलकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने और ग्लोबल सप्लाई-चेन में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेंगे।

Raviopedia

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