वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल 18 और 19 सितंबर को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और मुक्त व्यापार समझौते (CEPA) के कार्यान्वयन की समीक्षा करना होगा। इस दौरान, व्यापार को आसान बनाने, रुपये और दिरहम में लेन-देन को बढ़ावा देने, लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाने, ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और छोटे उद्योगों (MSME) को समर्थन देने जैसे मुद्दों पर बात हो सकती है।
मुख्य विषय: व्यापार और निवेश
पीयूष गोयल का यह दो दिवसीय दौरा भारत और संयुक्त अरब अमीरात के व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने और भविष्य की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए है। इसमें CEPA समझौते को लागू करने, निवेश को बढ़ावा देने, व्यापार को आसान बनाने और सप्लाई चेन को मजबूत करने जैसे मुद्दे शामिल हैं।
बैठकों में CEPA की संयुक्त समितियों द्वारा की गई प्रगति, नियम-उद्गम (Rules of Origin), कस्टम सहयोग और बाजार में पहुंच से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। मंत्रालयों की बैठकों में उद्योगों के बीच सहयोग, मानकों की आपसी पहचान और पेशेवर सेवाओं के लिए रोडमैप पर सहमति बन सकती है।
यह भी उम्मीद है कि इस दौरान उच्च स्तरीय निवेश कार्यबल और व्यापार परिषद के साथ बातचीत होगी, ताकि रणनीतिक परियोजनाओं, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा और डिजिटल ढांचे में सहयोग को बढ़ाया जा सके।
भारत-UAE व्यापार: कुछ खास बातें
संयुक्त अरब अमीरात भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है और यह भारत से निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। CEPA लागू होने के बाद से, दोनों देशों के बीच व्यापार में अच्छी वृद्धि हुई है, जिसमें रत्न और आभूषण, पेट्रोलियम, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण और वस्त्र जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
2023-24 में, भारत और UAE के बीच कुल व्यापार लगभग 80-85 अरब डॉलर का रहा। यह महामारी के बाद व्यापार में सुधार और CEPA के सकारात्मक असर को दिखाता है। UAE भारत के लिए तेल के अलावा अन्य वस्तुओं के व्यापार में भी एक बड़ा साझेदार है, जिससे भारत को अपने निर्यात को बढ़ाने में मदद मिली है।
उद्योग जगत का मानना है कि कस्टम प्रक्रियाओं को समय पर पूरा करने, डिजिटलीकरण और विवादों को सुलझाने में पारदर्शिता लाने से छोटे निर्यातकों को विशेष रूप से फायदा हुआ है। खाद्य और कृषि, इंजीनियरिंग, ऑटो पार्ट्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों में निर्यात के अवसर बढ़े हैं।
CEPA: पृष्ठभूमि और प्रभाव
भारत और UAE के बीच CEPA 1 मई 2022 से लागू है। इसका लक्ष्य पांच वर्षों में गैर-तेल वस्तुओं के व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाना और सेवाओं के व्यापार में भी अच्छी वृद्धि करना है। इस समझौते के तहत, कई उत्पादों पर तत्काल या धीरे-धीरे शुल्क कम किए गए हैं या पूरी तरह से हटा दिए गए हैं।
CEPA के तहत, कस्टम सहयोग, तकनीकी बाधाओं को दूर करने, स्वच्छता और डिजिटल व्यापार के लिए नियमों ने व्यापार को आसान बनाया है। इससे भारतीय निर्यातकों को कई क्षेत्रों में बेहतर मूल्य प्रतिस्पर्धा मिली है।
हालांकि, कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा और व्यापार में बदलाव पर ध्यान रखना जरूरी है। नियमों का कड़ाई से पालन करना और ट्रेसबिलिटी सिस्टम को मजबूत करना निर्यातकों और कस्टम अधिकारियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
निवेश और सॉवरेन फंड
- UAE के सॉवरेन निवेशक जैसे ADIA, Mubadala और ADQ भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल, स्वास्थ्य और उपभोक्ता क्षेत्रों में सक्रिय हैं। DP World जैसी कंपनियां भारत के बंदरगाहों, लॉजिस्टिक्स पार्कों और फ्री-ट्रेड वेयरहाउसिंग जोन में लंबे समय के लिए निवेश कर रही हैं।
- DPIIT के आंकड़ों के अनुसार, 2000 के बाद से भारत में UAE से FDI लगातार बढ़ा है और UAE निवेश के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। हाल के वर्षों में, नवीकरणीय ऊर्जा, ई-मोबिलिटी, डेटा सेंटर और इंडस्ट्रियल पार्क में संयुक्त परियोजनाएं बढ़ी हैं।
- इस दौरे में, यह उम्मीद है कि निवेश कार्यबल हरित हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक लॉजिस्टिक्स, कोल्ड-चेन और औद्योगिक कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने और समय पर पूरा करने के लक्ष्यों पर सहमत होंगे। इसके साथ ही, पेंशन और सॉवरेन फंड के लिए नीतिगत स्थिरता और करों से जुड़े मुद्दों पर भी बातचीत होगी।
वित्तीय संबंध: रुपया-दिरहम और डिजिटल भुगतान
- भारत और UAE के केंद्रीय बैंकों के बीच स्थानीय मुद्रा में लेन-देन (LCS) और भुगतान प्रणालियों को जोड़ने पर सहमति बनने से लेन-देन की लागत कम हुई है। रुपये और दिरहम में व्यापार करने से हेजिंग का जोखिम कम होता है और छोटे उद्योगों के लिए नकदी का प्रबंधन आसान हो जाता है।
- UAE में UPI आधारित भुगतान को स्वीकार करने का दायरा बढ़ा है, जिससे पर्यटन, रिटेल और सेवाओं में छोटे लेन-देन आसान हुए हैं। भविष्य में, सीमा पार त्वरित भुगतान, ट्रेड फाइनेंस का डिजिटलीकरण और ई-इनवॉइसिंग जैसी चीजों के मानकीकरण से व्यापार और भी आसान हो जाएगा।
- वित्तीय क्षेत्र में केवाईसी/एएमएल ढांचे को आपसी मान्यता देने और बैंकों के बीच सीधे लेन-देन के रास्तों को बढ़ाने पर तकनीकी कार्य समूह विचार कर सकते हैं।
रणनीतिक सहयोग: ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल
- ऊर्जा सुरक्षा में UAE का योगदान महत्वपूर्ण है। ADNOC के साथ कच्चे तेल की आपूर्ति और भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के उपयोग पर साझेदारी बनी हुई है। एलएनजी, पेट्रोकेमिकल्स और हरित हाइड्रोजन में भी सहयोग की संभावनाएं हैं।
- लॉजिस्टिक्स में DP World और भारतीय साझेदारों की परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी, कंटेनर टर्मिनल और वेयरहाउसिंग क्षमता बढ़ा रही हैं। CEPA के बाद कस्टम सहयोग से ट्रांजिट टाइम कम हुआ है, जिससे सप्लाई चेन मजबूत हुई है।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था (फिनटेक, एआई, साइबर सुरक्षा, सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन) में संयुक्त नवाचार, स्टार्टअप एक्सचेंज और को-फंडिंग प्लेटफॉर्म पर चर्चा हो सकती है। स्किल डेवलपमेंट और प्रोफेशनल योग्यता की आपसी मान्यता से सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव: रोजगार, MSME और प्रवासी
- CEPA के बाद, निर्यात के अनुकूल माहौल ने छोटे उद्योगों के लिए खाड़ी के बाजारों तक पहुंच आसान की है। आभूषण, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग सामान बनाने वाली भारतीय इकाइयों को नए ऑर्डर मिले हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
- UAE में भारतीय प्रवासी समुदाय (जो लाखों की संख्या में है) दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भुगतान में आसानी और कम लागत पर पैसे भेजने से घरेलू खपत और छोटे निवेश पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- वहीं दूसरी ओर, प्रतिस्पर्धी आयात से घरेलू उद्योग पर दबाव के संकेत भी हैं। नीति निर्माताओं का ध्यान उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता मानकों का पालन करने और ब्रांडिंग/मार्केटिंग समर्थन पर है, ताकि भारतीय उद्योग टिकाऊ बढ़त बनाए रख सके।
मानक, RoO और विवाद समाधान
- टेक्निकल स्टैंडर्ड, SPS/TBT अनुपालन और प्रमाणन की आपसी मान्यता व्यापार लागत को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत का लक्ष्य है कि लैब-टू-लैब मान्यता और डिजिटल सर्टिफिकेशन से निर्यातकों का समय और खर्च कम हो।
- नियम-उद्गम (RoO) से जुड़े नियमों का पालन करना जरूरी है, ताकि व्यापार में किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका को रोका जा सके। तेज और निष्पक्ष विवाद समाधान तंत्र, अपील प्रक्रिया की स्पष्टता और कस्टम प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण विश्वास बढ़ाते हैं।
- भविष्य में, प्रोफेशनल सर्विसेज (आईटी, हेल्थकेयर, आर्किटेक्चर, एजुकेशन) में मोबिलिटी और लाइसेंसिंग की स्पष्ट नीति सेवाओं के निर्यात को गति दे सकती है।
लक्ष्य, समय-सीमा और नई घोषणाएं
इस दौरे में CEPA के तहत तय लक्ष्यों की प्रगति की समीक्षा की जा सकती है और अगले 12-24 महीनों के लिए लक्ष्य तय किए जा सकते हैं। प्राथमिकताओं में MSME को जोड़ना, ट्रेड फाइनेंस तक पहुंच को आसान बनाना, लॉजिस्टिक्स का डिजिटलीकरण और हरित सप्लाई चेन शामिल हो सकते हैं।
यह भी संभव है कि इंफ्रास्ट्रक्चर, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं की घोषणा की जाए। इसके साथ ही, निवेशकों के लिए सिंगल-विंडो सपोर्ट, भूमि/क्लियरेंस और कर-प्रशासन में सुधार जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
क्षेत्रीय कनेक्टिविटी पहलों और समुद्री मार्गों को बेहतर बनाने पर सहयोग से भारत, खाड़ी, अफ्रीका और यूरोप के बीच सप्लाई चेन में भारत और UAE की भूमिका और प्रभाव बढ़ेगा।
निष्कर्ष
पीयूष गोयल का UAE दौरा भारत और UAE के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने का एक अवसर है। CEPA की समीक्षा, निवेश को बढ़ावा देना, रुपया-दिरहम में लेनदेन, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल सहयोग जैसे क्षेत्रों में प्रगति से व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। MSME, प्रवासी समुदाय और रणनीतिक क्षेत्रों में साझेदारी का विस्तार आने वाले वर्षों में दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा।


