जयपुर के JPIS में ISSO नेशनल गेम्स की शुरुआत

जयपुर के जैश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल में ISSO नेशनल गेम्स का शानदार आगाज़ हुआ है। मैदान में हलचल है, खिलाड़ी ज़ोर आज़माईश कर रहे हैं! फिलहाल, अंडर-19 फुटबॉल और अंडर-17 (लड़के और लड़कियां) बास्केटबॉल के मुकाबले चल रहे हैं और देखने लायक हैं। हर टीम अपना बेहतरीन खेल दिखा रही है, और हर मुकाबला रोमांचक हो रहा है।

आयोजन की एक झलक:

जयपुर का जैश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल (JPIS) इस बार ISSO नेशनल गेम्स की मेज़बानी कर रहा है, जो अपने आप में एक बड़ी बात है। खेल शुरू हो चुके हैं, और माहौल में ज़बरदस्त एनर्जी है। स्कूल के मैनेजमेंट ने खिलाड़ियों के लिए बेहतरीन इंतज़ाम किए हैं- खेल के मैदान से लेकर टेक्नीकल सपोर्ट और सुरक्षा तक, सब कुछ एकदम दुरुस्त है, ताकि खेल बिना किसी रुकावट के हों।

अक्सर ISSO के नेशनल लेवल के खेलों में वो स्कूल हिस्सा लेते हैं, जो इंटरनेशनल लेवल के सिलेबस फॉलो करते हैं, और कुछ टॉप प्राइवेट स्कूल भी आते हैं। इस बार सब की निगाहें अंडर-19 फुटबॉल और अंडर-17 बास्केटबॉल (लड़के और लड़कियों दोनों) पर टिकी हैं। इन गेम्स में खिलाड़ियों का टैलेंट, उनकी फिटनेस और टीम वर्क कमाल का देखने को मिल रहा है।

फुटबॉल और बास्केटबॉल

अंडर-19 फुटबॉल में टीमें दिमाग और तेज़ी दोनों से खेल रही हैं। उनकी प्लानिंग से पता चलता है कि उन्होंने कितनी मेहनत की है। खासकर जब नॉकआउट मुकाबले होते हैं, तो गोल बचाने और डिफेंस को मज़बूत रखने का प्रेशर अलग ही होता है।

अंडर-17 बास्केटबॉल (लड़के और लड़कियां) में खिलाड़ी ज़्यादातर तेज़ खेलने और सही मौके पर शॉट लगाने पर ध्यान दे रहे हैं। वो तेज़ी से आगे बढ़ते हैं, दूर से शॉट्स लगाते हैं और हाफ-कोर्ट से भी अच्छा खेल दिखाते हैं। जो टीम फिट है, जिसके पास अच्छे सब्स्टीट्यूट हैं और जो फाउल से बचती है, उसके जीतने के चांस ज़्यादा हैं।

कैसे होगा मुकाबला:

ज़्यादातर ISSO के स्कूल लेवल गेम्स में पहले ग्रुप स्टेज होता है, फिर सेमीफाइनल और आखिर में नॉकआउट मुकाबले होते हैं। ग्रुप स्टेज में पॉइंट्स के हिसाब से टीमों को रैंक किया जाता है- जीतने पर पूरा पॉइंट मिलता है, और हारने या ड्रा होने पर पॉइंट टेबल बदल जाती है। नॉकआउट में अगर टाई हो जाता है, तो फुटबॉल में एक्स्ट्रा टाइम या पेनल्टी शूटआउट होता है, और बास्केटबॉल में ओवरटाइम का ऑप्शन होता है।

मैच के रेफरी और स्कोर रखने वाले सब सर्टिफाइड होते हैं। टाइमिंग, सब्स्टीट्यूशन, फाउल काउंट और बाकी नियम भी स्टैंडर्ड होते हैं, ताकि किसी के साथ नाइंसाफी न हो। ऑर्गनाइजर ने सभी खिलाड़ियों को टाइम टेबल, नियम और ज़रूरी जानकारी पहले ही दे दी है।

क्या-क्या इंतज़ाम हैं:

स्कूल में खिलाड़ियों के लिए वार्म-अप करने की जगह है, मेडिकल हेल्प मौजूद है, और पानी का भी इंतज़ाम है। फर्स्ट एड, फिजियोथेरेपी और ज़रूरत पड़ने पर बड़े हॉस्पिटल में रेफर करने की सुविधा भी है। मैच के दौरान सेफ्टी के लिए लोग तैनात हैं, और टेक्नीकल हेल्प करने वाले भी हैं, ताकि खेल आराम से चलता रहे।


जो लोग मैच देखने आते हैं, उनके बैठने, आने-जाने के रास्ते और पार्किंग का भी ध्यान रखा गया है। अलग-अलग स्कूल से आए हुए खिलाड़ियों के लिए ट्रांसपोर्ट, टीम मैनेजमेंट, किट और ट्रेनिंग का भी इंतज़ाम किया गया है। मौसम को देखते हुए खाने-पीने और आराम करने का भी टाइम रखा गया है।

ISSO क्या है?:

ISSO (इंटरनेशनल स्कूल्स स्पोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन) का मकसद है कि स्कूलों में खेल को बढ़ावा मिले, खिलाड़ी आपस में मुकाबला करें और सब मिलजुल कर खेलें। इससे बच्चों को स्कूल के बाहर भी कॉम्पिटिशन का एक्सपीरियंस मिलता है, उनकी लीडरशिप क्वालिटी बढ़ती है, टीम में काम करना सीखते हैं और खेल के मैदान में ईमानदारी बनाए रखना सीखते हैं। अलग-अलग एज ग्रुप के हिसाब से कॉम्पिटिशन होते हैं, जिससे बच्चे आगे और भी बड़े लेवल के चैलेंज के लिए रेडी होते हैं।

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में भी कहा गया है कि खेल और शारीरिक शिक्षा पढ़ाई का ज़रूरी हिस्सा हैं। इसलिए ऐसे इवेंट सिर्फ टैलेंट को निखारते ही नहीं हैं, बल्कि पेरेंट्स और टीचर्स को भी सपोर्ट करते हैं कि वो बच्चों के लिए अच्छा माहौल बनाएं, जिसमें पढ़ाई और खेल दोनों को बराबर इंपॉर्टेंस मिले।

अभी क्या हो रहा है?:

अभी अंडर-19 फुटबॉल और अंडर-17 बास्केटबॉल के मैच चल रहे हैं। लीग में जो टीम आगे है, उसका हौसला बढ़ा हुआ है, क्योंकि नॉकआउट में जगह बनाना आसान नहीं है। ऑर्गनाइजर इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि सब लोग टाइम टेबल और रूल्स को फॉलो करें, ताकि सभी टीम्स को बराबर मौका मिले।

कितने खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं, कितने मैच होंगे और पूरा शेड्यूल क्या है, इसकी जानकारी धीरे-धीरे दी जा रही है। खिलाड़ियों के खेलने का तरीका, जैसे फुटबॉल में बॉल को पास करना और बास्केटबॉल में थ्री-पॉइंट शॉट्स और रिबाउंडिंग को कोच ध्यान से देख रहे हैं, ताकि वो अपनी टीम के लिए सही प्लान बना सकें।

इसका क्या असर होगा?:

स्कूल लेवल पर होने वाले नेशनल गेम्स से यंगस्टर्स में अनुशासन आता है, वो टाइम को मैनेज करना सीखते हैं और मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार होते हैं। इन गेम्स में अलग-अलग कल्चर के लोग मिलते हैं, जिससे उन्हें एक-दूसरे से सीखने का मौका मिलता है। इससे लोकल लेवल पर ट्रांसपोर्ट, फूड सर्विस और स्पोर्ट्स से जुड़े बिज़नेस को भी फायदा होता है।

पेरेंट्स और टीचर्स के लिए ये इवेंट एक सबूत है कि उनके बच्चे सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि हर फील्ड में आगे बढ़ रहे हैं। टीम में काम करना, लीडरशिप क्वालिटी और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसे स्किल्स उन्हें आगे पढ़ाई और करियर में भी काम आते हैं। यही वजह है कि स्कूल और एजुकेशन पॉलिसी अब खेल को एक्स्ट्रा एक्टिविटी नहीं मानते, बल्कि पढ़ाई के साथ-साथ ज़रूरी मानते हैं।

कैसे बनें बेहतरीन खिलाड़ी?:

अंडर-19 और अंडर-17 एज ग्रुप के स्टूडेंट्स के लिए ये एक ऐसा टाइम होता है, जब वो बेसिक चीज़ें सीख कर गेम की समझ और मैच के हिसाब से खेलना सीखते हैं। फुटबॉल में किक कितनी ताकत से मारनी है और पोजीशन बदलना कितना ज़रूरी है, ये सब पता चलता है। बास्केटबॉल में बॉल को कैसे हैंडल करना है, डिफेंस कैसे करना है और शॉट कैसे लगाना है, ये सब सीखने से जीत आसान हो जाती है।
इन कॉम्पिटिशन का एक मकसद ये भी है कि प्लेयर्स को आगे और भी बड़े लेवल पर खेलने के लिए तैयार किया जाए, जैसे कि ज़ोनल, इंटर-स्कूल चैंपियनशिप और सलेक्शन ट्रायल्स। आजकल स्कूलों में भी स्काउटिंग, फिटनेस टेस्टिंग और वीडियो एनालिसिस जैसे मॉडर्न टूल्स यूज़ किए जा रहे हैं, जिससे प्लेयर्स की परफॉर्मेंस को बेहतर तरीके से समझा जा सके।

आगे क्या होगा?:

जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ेंगे, नॉकआउट स्टेज में प्रेशर बढ़ेगा, और टीमें नई प्लानिंग के साथ उतरेंगी। जो खिलाड़ी बेंच पर बैठे हैं, वो भी गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। प्लेयर्स को अपनी नींद, खान-पान और स्ट्रेचिंग पर ध्यान देना होगा, ताकि वो टूर्नामेंट की थकान से बच सकें। ऑर्गनाइजर की पहली प्रायोरिटी यही होगी कि सब कुछ टाइम पर हो, रूल्स फॉलो हों और प्लेयर्स सेफ रहें।
जयपुर जैसे शहर में, जहां खेल को इतना सपोर्ट मिलता है, ISSO नेशनल गेम्स का होना लोकल टैलेंट और खेल कल्चर को बढ़ावा देता है। उम्मीद है कि आखिर तक सभी खिलाड़ी ईमानदारी से खेलेंगे और जो टीम सबसे अच्छा खेलेगी, वो जीतेगी। और सभी प्लेयर्स के लिए ये एक्सपीरियंस उनकी ग्रोथ की तरफ एक ज़रूरी कदम साबित होगा।

आखिर में:

जैश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल, जयपुर में ISSO नेशनल गेम्स शुरू हो चुके हैं, जिसमें अंडर-19 फुटबॉल और अंडर-17 बास्केटबॉल के मैच बिना किसी रुकावट के चल रहे हैं। सब कुछ अच्छे से मैनेज किया जा रहा है, रूल्स फॉलो किए जा रहे हैं और प्लेयर्स की सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है, जो कि एक अच्छा साइन है। आने वाले दिनों में नॉकआउट स्टेज और फाइनल मैच से पता चलेगा कि कौन जीतेगा। खेल की भावना, टेक्नीकल टैलेंट और टीम वर्क इस पूरे इवेंट की पहचान बने हुए हैं।

Raviopedia

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