Nifty-Sensex हल्की गिरावट, Adani शेयरों में बढ़त

आज घरेलू शेयर बाजार थोड़ा कमजोर रहा। पूरे दिन बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहा और आखिर में निफ्टी और सेंसेक्स में मामूली गिरावट आई। लेकिन, अडाणी समूह के शेयरों में तेजी देखने को मिली। बाजार का मानना है कि SEBI द्वारा हिंडनबर्ग के कुछ आरोपों को गलत बताने के बाद निवेशकों का भरोसा अडाणी के शेयरों में बढ़ा है।

बाजार का हाल:

आज बाजार एक दायरे में ही घूमता रहा। शुरुआत से लेकर आखिर तक, शेयर बाजार में कोई खास हलचल नहीं दिखी। दुनिया भर के बाजारों से मिले-जुले संकेत मिल रहे थे और निवेशक भी थोड़ा संभलकर चल रहे थे, इसलिए बाजार में ज्यादा खरीद-बिक्री नहीं हुई। लेकिन, कुछ लोग मुनाफा कमाने के लिए शेयर बेच रहे थे, जिसके चलते बाजार थोड़ा नीचे चला गया। दिन में कई बार बाजार ऊपर-नीचे हुआ, लेकिन कुल मिलाकर बाजार थोड़ा कमजोर ही रहा।

छोटे और मझोले आकार की कंपनियों के शेयरों में कुछ खरीदारी हुई, इसलिए बाजार पूरी तरह से नीचे नहीं गया। कुछ सुरक्षित माने जाने वाले शेयरों को भी सहारा मिला, जबकि कुछ ज्यादा जोखिम वाले शेयरों में गिरावट आई। विदेशी बाजारों के संकेतों और देश में आने वाली खबरों का असर बाजार पर साफ दिखा।

कौन से सेक्टर रहे कमजोर, कहां रही मजबूती:

अलग-अलग सेक्टरों का हाल मिला-जुला रहा। IT और बैंकिंग सेक्टर के कुछ शेयरों में लोगों ने मुनाफावसूली की, जिसके कारण इन सेक्टरों के इंडेक्स में गिरावट आई। वहीं, मेटल, ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े शेयरों में लोगों की दिलचस्पी बनी रही। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन सेक्टरों को सरकार की तरफ से मदद मिल रही है और उनके पास पहले से ही काफी ऑर्डर हैं। FMCG और हेल्थकेयर सेक्टर में भी कारोबार सामान्य रहा, जिससे बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं हुआ।

सरकारी कंपनियों के शेयरों में निवेशकों की रुचि बनी रही, क्योंकि सरकार इन कंपनियों को आगे बढ़ाने के लिए काफी खर्च कर रही है और देश में भी इन चीजों की मांग बढ़ रही है। ऑटो सेक्टर के कुछ शेयरों में भी गिरावट आने पर खरीदारी का रुझान दिखा, जबकि रियल एस्टेट सेक्टर में अलग-अलग शहरों में अलग-अलग स्थिति रही। कुल मिलाकर, निवेशक एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर में पैसा लगाते रहे, जहां उन्हें अच्छे रिटर्न मिलने की उम्मीद थी।

अडाणी समूह: SEBI के फैसले का असर:

आज अडाणी समूह के कई शेयरों में तेजी आई। बाजार के जानकारों का मानना है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हिंडनबर्ग रिसर्च के कुछ आरोपों को खारिज कर दिया है, जिसके बाद निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। SEBI के इस फैसले से अडाणी समूह के शेयरों में जोखिम कम हुआ है और निवेशकों के वापस आने की संभावना बढ़ गई है।

विश्लेषकों के अनुसार, अगर किसी बड़े समूह पर से अनिश्चितता कम होती है, तो इसका असर सिर्फ उस समूह पर ही नहीं, बल्कि उससे जुड़े सेक्टरों पर भी पड़ता है, जैसे कि पोर्ट, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा, ट्रांसमिशन और इंफ्रास्ट्रक्चर। इससे उन कंपनियों के प्रति भी लोगों का नजरिया सुधर सकता है जो इन सेक्टरों को सेवाएं देती हैं। हालांकि, निवेशक SEBI के अंतिम फैसले और बाकी जांचों के नतीजों पर नजर रखेंगे, क्योंकि बाजार हमेशा पूरी जानकारी चाहता है।

हिंडनबर्ग बनाम अडाणी: मामला क्या है:

जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें अडाणी समूह पर स्टॉक में हेरफेर और गलत तरीके से कंपनी चलाने के आरोप लगाए गए थे। इस रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह के शेयरों की कीमत काफी गिर गई और निवेशकों का भरोसा भी कम हो गया। अडाणी समूह ने इन आरोपों को गलत बताया और कहा कि ये बेबुनियाद हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर SEBI ने इस मामले की जांच शुरू की और समय-समय पर रिपोर्ट पेश की।

बीच में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी ने 2023 में कहा था कि उन्हें SEBI की तरफ से कोई गड़बड़ी नहीं मिली है, लेकिन SEBI को अपनी जांच पूरी करने के लिए और समय दिया गया। इस दौरान अडाणी समूह ने अपना कर्ज कम किया, कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाई और कुछ प्रोजेक्ट्स में पैसे का सही प्रबंधन किया। अब अगर SEBI ने कुछ आरोपों को खारिज किया है, तो यह उस लंबी प्रक्रिया का हिस्सा है जो सबूतों और दस्तावेजों के आधार पर आगे बढ़ रही है।

निवेशकों का मूड और दुनिया भर के संकेत:

आज घरेलू बाजार का मूड वैश्विक बाजारों से भी प्रभावित हुआ। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड, कच्चे तेल की कीमतें और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़े, जैसे कि महंगाई और उत्पादन, पर बाजार की नजर रही। एशिया के बाजारों में मिला-जुला रुख रहा और यूरोपीय बाजारों की शुरुआत भी कुछ खास अच्छी नहीं रही, जिससे पता चलता है कि निवेशक बड़ा दांव लगाने से पहले और जानकारी का इंतजार कर रहे हैं।

देश में, महंगाई, औद्योगिक उत्पादन और बैंकों में पैसे की उपलब्धता जैसे कारकों के साथ-साथ RBI की नीतियों का भी निवेशकों के फैसले पर असर पड़ रहा है। जब तक ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी का डर बना रहेगा, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। दूसरी ओर, जिन सेक्टरों में कमाई की संभावना अच्छी है, वहां गिरावट आने पर खरीदारी जारी रह सकती है।

FPI-DII की गतिविधियां और कारोबार:

घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) अक्सर बाजार में गिरावट आने पर खरीदारी करते हैं, जबकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) दुनिया भर के रुझानों के अनुसार अपनी स्थिति बदलते रहते हैं। आज के सत्र में कारोबार सामान्य रहा और डेरिवेटिव सेगमेंट में भी सतर्कता दिखी, जिससे बाजार में ज्यादा हलचल नहीं हुई। FPI का रुख डॉलर इंडेक्स, अमेरिकी यील्ड और उभरते बाजारों के आकर्षण जैसे कारकों पर निर्भर करता है।

निवेशकों को सिर्फ FPI के प्रवाह पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि कंपनियों की कमाई, ऑर्डर, बैलेंस शीट और मैनेजमेंट जैसे कारकों पर भी ध्यान देना चाहिए। खासकर ऐसे समय में, जब SEBI के फैसले जैसी खबरें शेयरों में तेजी ला सकती हैं, तो अपने पोर्टफोलियो में अलग-अलग तरह के शेयर रखना और जोखिम का प्रबंधन करना बहुत जरूरी है।

आर्थिक असर और नीतिगत संकेत:

अडाणी समूह का इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा, पोर्ट और लॉजिस्टिक्स में बड़ा योगदान है। अगर इस समूह से जुड़े प्रोजेक्ट्स में स्पष्टता आती है, तो इससे पूंजी व्यय, प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग और सप्लाई चेन पार्टनर्स पर अच्छा प्रभाव पड़ सकता है। इससे रोजगार बढ़ने और ठेकेदारों के कारोबार में भी सुधार होने की उम्मीद है। SEBI के फैसले से यह भी संकेत मिलता है कि आरोपों की जांच संस्थागत प्रक्रियाओं के तहत तय समय में आगे बढ़ती है, और जहां पर्याप्त सबूत नहीं होते हैं, वहां अनिश्चितता को खत्म किया जाता है।

नीतिगत मोर्चे पर, RBI की अगली समीक्षा, केंद्र और राज्यों का पूंजी व्यय, और वैश्विक कमोडिटी कीमतें बाजार के रुझान को तय करेंगी। अगर महंगाई तय सीमा के भीतर रहती है और विकास दर अच्छी रहती है, तो इक्विटी के लिए मध्यम अवधि का माहौल सकारात्मक बना रह सकता है। हालांकि, दुनिया भर में राजनीतिक जोखिम, कच्चे तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि और विदेशी फंडिंग की लागत में उतार-चढ़ाव निकट भविष्य के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं।

आगे क्या: किन बातों पर रखें नजर:

निवेशकों को कुछ बातों पर ध्यान रखना होगा। पहला, SEBI के विस्तृत आदेश और उससे जुड़ी कानूनी प्रक्रिया का अडाणी समूह और उससे जुड़े सेक्टरों पर असर पड़ सकता है। दूसरा, कंपनियों के तिमाही नतीजे बताएंगे कि मांग, मुनाफा और ऑर्डर कैसे हैं। तीसरा, दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़े, जैसे कि महंगाई, रोजगार और विकास, केंद्रीय बैंकों के फैसलों को प्रभावित करेंगे।

तकनीकी रूप से, प्रमुख इंडेक्स के लिए हालिया कंसोलिडेशन जोन महत्वपूर्ण बना हुआ है। निवेशकों को समर्थन और प्रतिरोध के स्तरों पर ध्यान रखना चाहिए, स्टॉप-लॉस का पालन करना चाहिए और अपने पोर्टफोलियो में अच्छी गुणवत्ता वाले शेयरों को ज्यादा रखना चाहिए ताकि वे उतार-चढ़ाव से निपट सकें। घरेलू मांग और सरकारी खर्च से जुड़े सेक्टरों, जैसे कि रोड, रेल, डिफेंस और ग्रीन एनर्जी, पर भविष्य में भी ध्यान दिया जा सकता है, बशर्ते कि शेयरों की कीमत और कमाई के बीच संतुलन बना रहे।

निष्कर्ष:

आज बाजार में सतर्कता बनी रही और निफ्टी और सेंसेक्स में हल्की गिरावट आई। लेकिन, अडाणी समूह के शेयरों में तेजी देखने को मिली, क्योंकि SEBI ने हिंडनबर्ग के कुछ आरोपों को खारिज कर दिया था। आगे बाजार की दिशा वैश्विक संकेत, RBI की नीतियां, तिमाही नतीजे और SEBI के फैसले तय करेंगे। निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे सोच-समझकर निवेश करें, अच्छी कंपनियों को चुनें और अपने पोर्टफोलियो को अलग-अलग सेक्टरों में बांटें ताकि वे बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से बच सकें।

Raviopedia

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