तमिलनाडु के करूर में एक्टर विजय की पार्टी TVK की रैली में भगदड़ मच गई। इसमें लगभग 39-40 लोगों की जान चली गई और 100 के करीब घायल हो गए। अब सुरक्षा इंतजामों और आयोजन की जिम्मेदारी पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस का कहना है कि आयोजन स्थल बदलने के आदेश को नहीं माना गया और विजय के आने में भी देरी हुई। वहीं, सरकार और विपक्ष ने मृतकों के परिवारों को सांत्वना दी है और मुआवज़े का ऐलान किया है।
मुख्य खबर:
- 27 सितंबर को तमिलनाडु के करूर में एक दर्दनाक हादसा हुआ। एक्टर विजय की पार्टी TVK की रैली में भगदड़ मचने से 39-40 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। लगभग 90-100 लोग घायल हो गए। इस घटना से पूरे राज्य में शोक की लहर है और लोगों में गुस्सा है।
- तमिलनाडु पुलिस और बड़े अफसरों के मुताबिक, कार्यक्रम का स्थल बदलने का आदेश दिया गया था, लेकिन उसे माना नहीं गया। इसके अलावा, विजय के आने में 7 घंटे की देरी हुई, जिससे भीड़ में बेचैनी बढ़ गई और धक्का-मुक्की होने लगी। यही धक्का-मुक्की बाद में भगदड़ में बदल गई।
- NDTV और लोकल मीडिया के मुताबिक, मरने वालों की संख्या 40 तक पहुंच गई है और करीब 100 लोग घायल हैं। घायलों का इलाज करूर और आसपास के अस्पतालों में चल रहा है।
- इस घटना के बाद विजय ने दुख जताया है और घायलों के जल्दी ठीक होने की कामना की है। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने भी एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवज़े का ऐलान किया। साथ ही, उन्होंने इस घटना की जांच के आदेश भी दिए हैं।
- स्थल पर क्षमता से ज़्यादा भीड़ थी।
- आने-जाने का सही प्लान नहीं था।
- मेडिकल टीम कम थी।
- भीड़ को कंट्रोल करने के लिए सही इंतजाम नहीं थे।
- कार्यक्रम में देरी हुई।
- विपक्ष ने इस घटना को सरकार की नाकामी बताया है और इसकी जांच की मांग की है। खबर यह भी है कि आयोजन समिति के कुछ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है और लापरवाही के एंगल से जांच शुरू हो गई है। इससे सियासी माहौल और गरमा गया है।
- भारत में बड़े राजनीतिक आयोजनों में भीड़ को संभालना हमेशा से मुश्किल रहा है। अक्सर देखा गया है कि जगहों की क्षमता, भीड़ का व्यवहार और इमरजेंसी प्रोटोकॉल को सही से फॉलो नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से हादसे हो जाते हैं। करूर का हादसा भी इसी कड़ी का एक दर्दनाक उदाहरण है।
- न्यू इंडियन एक्सप्रेस और कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, भगदड़ के दौरान लोगों को सांस लेने तक की जगह नहीं मिल रही थी और निकलने के रास्तों पर लोग फंसे हुए थे। इससे भीड़ की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठते हैं।
- अब ज़रूरी है कि राज्य सरकार चुनावी रैलियों और दूसरी सभाओं के लिए SOP (Standard Operating Procedure) पर दोबारा विचार करे। आयोजकों के लिए आपदा प्रबंधन की ट्रेनिंग, एंट्री-एग्जिट कंट्रोल, लाइव मॉनिटरिंग और मेडिकल टीमों जैसे सुरक्षा इंतजामों को कानूनी तौर पर ज़रूरी बनाने पर भी बहस हो सकती है। तमिलनाडु पुलिस को भी भीड़ को कंट्रोल करने की ट्रेनिंग और इवेंट के हिसाब से खतरे का आंकलन करने की व्यवस्था को और मजबूत करना होगा, ताकि ऐसे हादसों को रोका जा सके।
सरकार और पुलिस इस घटना के लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराती है और SOP को कितना सख्त करती है, यह देखना होगा। उम्मीद है कि जांच रिपोर्ट के बाद ज़िम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी और भविष्य में होने वाली सभाओं के लिए सुरक्षा के नियम बनाए जाएंगे। मुआवज़े का वितरण, घायलों का इलाज और आपदा से निपटने की तैयारी पर भी सरकार जल्द ही कोई फैसला ले सकती है।
