परिचय:
लालू प्रसाद यादव, बिहार की राजनीति का एक ऐसा नाम, जिसे शायद ही कोई भूल पाए. वो न केवल एक नेता हैं, बल्कि एक विचारधारा हैं. 11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में उनका जन्म हुआ. लालू जी ने बिहार की राजनीति को नई दिशा दी. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की नींव रखी और लंबे समय तक इसके अध्यक्ष रहे. 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे और 2004 से 2009 तक केंद्र में रेल मंत्री का पद संभाला.
लालू जी की खासियत ये रही कि उन्होंने हमेशा समाज के दबे-कुचले लोगों की आवाज उठाई. उन्होंने पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को साथ लेकर राजनीति की और उन्हें उनका हक दिलाने की कोशिश की. उनकी भाषण शैली और लहजा लोगों को खूब पसंद आया और वो जल्द ही बिहार की राजनीति के चहेते नेता बन गए. हालांकि, उनके ऊपर भ्रष्टाचार के भी कई आरोप लगे, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा.
शुरुआती जीवन और शिक्षा:
- लालू प्रसाद यादव का बचपन एक साधारण किसान परिवार में बीता. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है, जहाँ उन्होंने स्नातक और क़ानून की डिग्री हासिल की. छात्र जीवन से ही उनकी राजनीति में रुचि थी. वो छात्र संघ के चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे और अपनी बातों से लोगों को प्रभावित करते थे.
- 1970 के दशक में, जब देश में जयप्रकाश नारायण (जेपी) का आंदोलन चल रहा था, लालू जी भी उससे जुड़ गए. उन्होंने जेपी के विचारों को आगे बढ़ाया और समाज में बदलाव लाने के लिए संघर्ष किया. 1975 में, आपातकाल के दौरान उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था.
राजनीतिक करियर की शुरुआत:
- लालू प्रसाद यादव ने 1977 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता. उस समय उनकी उम्र सिर्फ 29 साल थी. इसके बाद, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1990 में, वो बिहार के मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जिनसे समाज के गरीब और पिछड़े लोगों को फायदा हुआ.
- 1997 में, चारा घोटाले के आरोप लगने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा. इसके बाद, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नाम से अपनी नई पार्टी बनाई.
मुख्यमंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव:
लालू प्रसाद यादव जब बिहार के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने राज्य में सामाजिक न्याय की राजनीति को बढ़ावा दिया. उन्होंने पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को साथ लेकर एक नया राजनीतिक समीकरण बनाया, जो कई सालों तक बिहार की राजनीति में छाया रहा.
लालू जी ने गरीबों के लिए कई योजनाएं चलाईं, जैसे कि इंदिरा आवास योजना और साइकिल योजना. उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कई सुधार किए. उनकी सरकार ने राज्य में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी कई कदम उठाए.
रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव:
2004 में, लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री बने. रेल मंत्री के तौर पर उन्होंने भारतीय रेलवे को मुनाफे में लाने के लिए कई कदम उठाए. उन्होंने माल ढुलाई को बढ़ावा दिया और यात्री सेवाओं में सुधार किया. उनके प्रयासों से भारतीय रेलवे की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ.
हालांकि, उनके ऊपर यह भी आरोप लगे कि उन्होंने रेलवे में कई गलत काम किए हैं. इन आरोपों की जांच अभी भी चल रही है.
विवाद और चुनौतियाँ:
- लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक जीवन विवादों से भरा रहा है. उनके ऊपर चारा घोटाले, जमीन घोटाले और आय से अधिक संपत्ति के कई आरोप लगे. इन मामलों में उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा है.
- 2013 में, उन्हें चारा घोटाले के एक मामले में दोषी ठहराया गया और पांच साल की सजा सुनाई गई. इसके बाद, उनकी लोकसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई. 2017 और 2018 में भी उन्हें अलग-अलग मामलों में सजा सुनाई गई.
- इन विवादों के बावजूद, लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में आज भी एक महत्वपूर्ण ताकत हैं. उनकी पार्टी RJD बिहार की सबसे बड़ी पार्टियों में से एक है.
समाज और देश पर असर:
लालू प्रसाद यादव ने बिहार की राजनीति में सामाजिक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को राजनीतिक रूप से जागरूक किया और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए संघर्ष किया.
उनके समर्थकों का मानना है कि उन्होंने बिहार में सामाजिक न्याय की राजनीति को मजबूत किया. वहीं, उनके विरोधियों का कहना है कि उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और विकास को बाधित किया.
विरासत:
लालू प्रसाद यादव की विरासत एक जटिल विरासत है. एक तरफ, उन्हें सामाजिक न्याय के एक मसीहा के रूप में देखा जाता है. वहीं, दूसरी तरफ, उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों से भी जूझना पड़ा है.
उनकी पार्टी RJD आज भी बिहार की राजनीति में सक्रिय है. उनके बेटे तेजस्वी यादव अब पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू प्रसाद यादव की विरासत को वो किस तरह से आगे बढ़ाते हैं.
निष्कर्ष:
लालू प्रसाद यादव एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने बिहार की राजनीति को गहराई से प्रभावित किया है. वो एक विवादास्पद व्यक्ति हैं, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि उन्होंने समाज के दबे-कुचले लोगों की आवाज उठाई और उन्हें उनका हक दिलाने की कोशिश की.
लालू प्रसाद यादव की कहानी भारतीय लोकतंत्र की एक अनूठी कहानी है. यह कहानी दिखाती है कि कैसे एक साधारण गांव का लड़का अपनी मेहनत और लगन से देश की राजनीति में एक बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है.
कुछ खास बातें:
- जन्म: 11 जून 1948, फुलवरिया (गोपालगंज), बिहार
- शिक्षा: स्नातक और एलएलबी, पटना विश्वविद्यालय
- परिवार: पत्नी: राबड़ी देवी; संताने: पुत्र तेजस्वी, तेजप्रताप सहित कुल 9
- राजनीतिक दल: संस्थापक-अध्यक्ष, राष्ट्रीय जनता दल (1997-वर्तमान)
- प्रमुख पद: मुख्यमंत्री, बिहार (1990-97); केंद्रीय रेल मंत्री (2004-09); लोकसभा/राज्यसभा सदस्य
- मुख्यमंत्री कार्यकाल: 1990–95 और 1995–97 (जनता दल सरकार; 1997 में इस्तीफ़ा)।
- रेल मंत्री कार्यकाल: 2004–09 (UPA-I); ‘टर्नअराउंड’ पर केस-स्टडी/बहसें।
- संसदीय करियर: 1977 में पहली बार लोकसभा; बाद में कई बार लोकसभा/राज्यसभा।
- प्रमुख उपलब्धियाँ: सामाजिक न्याय की राजनीति का विस्तार; 2004–09 में भारतीय रेल की वित्तीय स्थिति में सुधार के दावे।
- प्रमुख विवाद/सज़ाएँ: चारा घोटाले में 2013, 2017, 2018 में सज़ाएँ; 2022 डोरांडा केस में दोषसिद्धि; अयोग्यता प्रावधान लागू।
कुछ सवाल:
- क्या लालू प्रसाद यादव ने बिहार के विकास के लिए सही काम किया?
- क्या लालू प्रसाद यादव के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोप सही हैं?
- लालू प्रसाद यादव की विरासत क्या है?


