नीतीश कुमार: 'सुशासन बाबू' से 'पलटू राम' तक – बिहार की सत्ता, राजनीति और राजनीतिक गठबंधनों का एक अनोखा सफ़र

जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार, जो जेपी आंदोलन से निकले और नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, उन्होंने 'सात निश्चय', शराबबंदी और जाति-आधारित सर्वेक्षण जैसे निर्णय लिए, जिससे उन्हें प्रशंसा और आलोचना दोनों मिली।

परिचय और महत्व

नीतीश कुमार, भारतीय राजनीति में एक अनुभवी ओबीसी (कुर्मी) नेता हैं। उन्होंने बिहार में शासन, विकास और गठबंधन की राजनीति के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है। 2024 में, उन्होंने रिकॉर्ड नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिससे वे सत्ता परिवर्तन की राजनीति के एक मजबूत प्रतीक बन गए, उन्हें सुशासन बाबू और पलटू राम दोनों उपाधियाँ मिली।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च, 1951 को बिहार के पटना जिले के बख्तियारपुर में हुआ था। उनके पिता, कविराज राम लखन सिंह, एक जाने-माने वैद्य थे, और उनकी माता, परमेश्वरी देवी, एक गृहणी थीं। उन्होंने पटना के बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग (अब NIT पटना) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। शुरुआती करियर में, उन्होंने बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में काम किया। छात्र जीवन में, वे जेपी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल रहे और आपातकाल के दौरान MISA के तहत हिरासत में भी रहे, जिसने उनके राजनीतिक विचारों को आकार दिया।

कैरियर की शुरुआत

1980 के दशक में नीतीश कुमार जनता दल में शामिल होकर सक्रिय राजनीति में आए। 1985 में, वे पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने। 1994 में, उन्होंने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर समता पार्टी की स्थापना की। मार्च 2000 में, वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत के अभाव में उन्हें सात दिनों के भीतर इस्तीफा देना पड़ा। 2005 में, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करके एक स्थिर सरकार बनाई और प्रशासनिक सुधारों पर जोर दिया। केंद्र सरकार में, उन्होंने रेल, कृषि और सड़क परिवहन जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें शासन और प्रशासन का व्यापक अनुभव प्राप्त हुआ।

प्रमुख उपलब्धियाँ और योगदान

2005 के बाद, नीतीश कुमार ने बिहार में सड़कों का निर्माण, बिजली आपूर्ति में सुधार, स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए। इन पहलों से महिला साक्षरता और ग्रामीण कनेक्टिविटी में सुधार हुआ। 'विकसित बिहार के लिए सात निश्चय' योजना के तहत, हर घर नल का जल, हर घर बिजली, गली-नाली पक्कीकरण, शौचालय निर्माण, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, कुशल युवा कार्यक्रम और युवा भत्ता जैसी योजनाएं शुरू की गईं। 2016 में, उन्होंने राज्यव्यापी शराबबंदी लागू करके सामाजिक सुधार का एजेंडा चलाया। इस कानून के सख्त प्रावधानों और बाद में न्यायिक समीक्षा ने इस नीति को राष्ट्रीय स्तर पर बहस का मुद्दा बना दिया। 2023 में, जाति-आधारित सर्वेक्षण ने ओबीसी और ईबीसी समुदायों की जनसंख्या और आर्थिक स्थिति पर विस्तृत आंकड़े जारी किए, जिससे आरक्षण में वृद्धि जैसी नीतिगत पहलों को बढ़ावा मिला। लोकमत सर्वे और मीडिया सम्मानों में, उन्हें 2007 में 'बेस्ट चीफ मिनिस्टर', 2009 में 'बिजनेस रिफॉर्मर ऑफ द ईयर' और 2010 में 'इंडिया पर्सन ऑफ द ईयर' जैसे पुरस्कार मिले, जो उनके शासन के प्रयासों को दर्शाते हैं।

विवाद और चुनौतियाँ

बार-बार गठबंधन बदलने के कारण, नीतीश कुमार को 'पलटू राम' जैसे नामों से आलोचना का सामना करना पड़ा। 2013, 2017, 2022 और 2024 में एनडीए और महागठबंधन के बीच उनके बदलावों ने राजनीतिक स्थिरता और नैतिकता पर सवाल खड़े किए। शराबबंदी कानून के सामूहिक दायित्व, कठोर सजाओं और कार्यान्वयन पर संवैधानिक आपत्तियां उठाई गईं। पटना उच्च न्यायालय द्वारा 2016 के संशोधन कानून को अवैध घोषित करने और इसके बाद की कानूनी प्रक्रियाओं ने नीति कार्यान्वयन की सीमाओं को उजागर किया। लंबे कार्यकाल के बाद भी, बेरोजगारी, औद्योगिकीकरण की धीमी गति और प्रवासन जैसी संरचनात्मक चुनौतियां बनी रहीं, जिन पर उनके राजनीतिक विरोधियों ने लगातार सवाल उठाए।

समाज और देश पर प्रभाव

बिहार में कानून व्यवस्था में सुधार, सड़क और बिजली के बुनियादी ढांचे का विकास और स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के कारण 'सुशासन' की चर्चा मुख्यधारा में आई, जिससे अन्य राज्यों में भी शासन-केंद्रित राजनीति को बढ़ावा मिला। जाति-आधारित सर्वेक्षण और ईबीसी-ओबीसी प्रतिनिधित्व की बहस को संस्थागत रूप देकर, उन्होंने 'विकास के साथ न्याय' की राजनीति को एक नया आयाम दिया, जो 2024-25 के चुनावी चर्चा में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया। उन्होंने 2014 में दलित सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनवाया, जिसे सामाजिक प्रतिनिधित्व की राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।

विरासत

नीतीश कुमार की विरासत विरोधाभासी है। 'सुशासन बाबू' की प्रशासनिक क्षमता और 'पलटू राम' की गठबंधन में बदलाव की आलोचनात्मक छवि एक साथ चलती हैं। उनका दीर्घकालिक प्रभाव यह है कि बिहार की राजनीति में नीति-आधारित एजेंडा, सामाजिक न्याय और व्यावहारिक सत्ता संतुलन बार-बार एक ही व्यक्तित्व के चारों ओर घूमते रहे हैं।

निष्कर्ष

नीतीश कुमार की जीवनी सत्ता, नीति और समाज के त्रिकोण में उस भारतीय प्रयोगशाला का प्रतिनिधित्व करती है जहाँ विकास, सामाजिक न्याय और गठबंधन की राजनीति लगातार एक-दूसरे को परिभाषित करते हैं। इसलिए, वे बिहार और भारत की सामूहिक राजनीतिक चेतना में जीवित हैं, क्योंकि उनकी कहानी सफलता, सीमाओं और विकल्पों के बीच सार्वजनिक नीति की जटिलताओं को उजागर करती है।

मुख्य तथ्य

  • जन्म: 1 मार्च 1951, बख्तियारपुर (पटना); पिता - कविराज राम लखन सिंह; माता - परमेश्वरी देवी।
  • शिक्षा: बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, पटना (अब NIT पटना), से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक; प्रारंभिक नौकरी - बिहार राज्य विद्युत बोर्ड।
  • राजनीतिक शुरुआत: जेपी आंदोलन (MISA हिरासत), 1985 में विधानसभा, 1994 में समता पार्टी का गठन, केंद्र में रेल/कृषि/सड़क परिवहन मंत्री।
  • मुख्यमंत्री कार्यकाल: 2000 (संक्षिप्त), 2005-2014, 2015-2017, 2017-2020, 2020-2022, 2022-2024 (महागठबंधन), 2024 में 9वीं बार शपथ (NDA)।
  • प्रमुख नीतियाँ: 'सात निश्चय' - हर घर नल का जल, हर घर बिजली, गली-नाली, शौचालय, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, कुशल युवा, युवा भत्ता।
  • शराबबंदी: बिहार निषेध और मद्यनिषेध अधिनियम, 2016; सख्त दंडात्मक प्रावधान और संवैधानिक बहस/न्यायिक समीक्षा।
  • जाति-आधारित सर्वेक्षण (2023): ईबीसी+ओबीसी ~63%; गरीबी-संबंधित आंकड़ों के आधार पर कल्याणकारी घोषणाएँ और आरक्षण-वृद्धि चर्चा।
  • मान्यताएँ/पुरस्कार: 2007 'बेस्ट चीफ मिनिस्टर' (CNN-IBN/HT पोल), 2009 'बिजनेस रिफॉर्मर ऑफ द ईयर' (ET), 2010 'इंडिया पर्सन ऑफ द ईयर' (Forbes India)।

चर्चा के लिए प्रश्न

  • क्या बार-बार गठबंधन परिवर्तन बिहार में स्थिर शासन को कमजोर करते हैं, या यह व्यावहारिक राजनीति का आवश्यक भाग है?
  • क्या शराबबंदी से सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधित लाभ अधिक हैं या कानूनी और प्रशासनिक लागतें और अधिकार संबंधित जोखिम अधिक हैं, और ये दीर्घकाल में नीति निर्माण को कैसे प्रभावित करते हैं?
  • जाति-आधारित सर्वेक्षण और बढ़ते आरक्षण से 'विकास के साथ न्याय' की राजनीति को स्थायी आधार मिलेगा या इससे नयी सामाजिक राजनीतिक रेखाएँ बनेंगी?

Raviopedia

तेज़ रफ्तार जिंदगी में सही और भरोसेमंद खबर जरूरी है। हम राजनीति, देश-विदेश, अर्थव्यवस्था, अपराध, खेती-किसानी, बिजनेस, टेक्नोलॉजी और शिक्षा से जुड़ी खबरें गहराई से पेश करते हैं। खेल, बॉलीवुड, हॉलीवुड, ओटीटी और टीवी की हलचल भी आप तक पहुंचाते हैं। हमारी खासियत है जमीनी सच्चाई, ग्राउंड रिपोर्ट, एक्सप्लेनर, संपादकीय और इंटरव्यू। साथ ही सेहत, धर्म, राशिफल, फैशन, यात्रा, संस्कृति और पर्यावरण पर भी खास कंटेंट मिलता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post