खबरों के मुताबिक, सरकार ने अब ये तय कर दिया है कि 10वीं और 12वीं क्लास के सर्टिफिकेट की 'इक्विवेलेंस' यानी बराबरी तय करने का हक NCERT को दिया जाएगा। इससे अलग-अलग बोर्डों के बीच एक जैसा सिस्टम बनाने में मदद मिलेगी।
इसके साथ ही, DRDO यानी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने 195 अपरेंटिस पदों के लिए 27 सितंबर से आवेदन लेना शुरू कर दिया है। ये उन लोगों के लिए बहुत अच्छा मौका है जो स्किल सीखना चाहते हैं और अपने करियर की शुरुआत करना चाहते हैं।
मुख्य खबर:
- टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, अब NCERT को पूरे देश के अलग-अलग स्कूल बोर्डों के 10वीं और 12वीं क्लास के सर्टिफिकेट को बराबर मानने का अधिकार मिल जाएगा। इससे यूनिवर्सिटी और नौकरी देने वाली संस्थाओं के लिए सर्टिफिकेट की मान्यता की प्रक्रिया आसान हो जाएगी और सब कुछ एक जैसे नियमों के हिसाब से होगा। इससे छात्रों को एक बोर्ड से दूसरे बोर्ड या एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने में जो दिक्कतें आती हैं, वो भी कम हो जाएंगी।
- अभी तक कई संस्थान AIU या इसी तरह की दूसरी संस्थाओं पर निर्भर रहते थे। NCERT के पास ये अधिकार होने से अब सब कुछ एक जगह पर होगा, जिससे कंफ्यूजन कम होगा और स्कूल या बोर्ड लेवल पर जो अलग-अलग चीजें हैं, उन्हें एक तय किए गए फ्रेमवर्क में लाया जा सकेगा। इससे एडमिशन और नौकरी की प्रक्रियाओं में आसानी होगी।
- ऊंची पढ़ाई में अलग-अलग बोर्डों के ग्रेडिंग सिस्टम, विषय-क्रेडिट, करिकुलम और मूल्यांकन के तरीकों में तालमेल न होने की वजह से इक्विवेलेंस का मामला अक्सर विवाद और देरी का कारण बनता था। NCERT को ये अधिकार मिलने के बाद उम्मीद है कि तय किए गए नियम, ट्रांसपेरेंट मैट्रिक्स और समय पर सर्टिफिकेशन से ये परेशानी दूर हो जाएगी।
- इसके साथ ही, DRDO ने 195 अपरेंटिस पदों के लिए 27 सितंबर से आवेदन लेना शुरू कर दिया है। ये पद टेक्निकल और सपोर्ट करने वाली भूमिकाओं में नए लोगों को काम करने का मौका देंगे। ये स्किल सिखाने के लिए बहुत अच्छी बात है, खासकर STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ) के छात्रों के लिए।
असर और विश्लेषण:
NCERT के जरिए इक्विवेलेंस होने से यूनिवर्सिटी में काउंसलिंग, मेरिट लिस्ट और कटऑफ तय करने का काम आसान हो जाएगा। साथ ही, नौकरी के आवेदनों में इक्विवेलेंस के लिए जो फालतू कागजात जमा करने पड़ते थे और इंतजार करना पड़ता था, वो भी कम हो जाएगा। इससे सरकारी खर्च और समय बचेगा और छात्रों और नौकरी ढूंढने वालों का अनुभव बेहतर होगा।
पॉलिसी की जानकारी:
स्कूली शिक्षा में ये कदम 'वन नेशन-वन स्टैंडर्ड' की तरफ नहीं, बल्कि 'वन नेशन-वन क्लैरिटी' की तरफ है। इसका मतलब है कि अलग-अलग चीजों को मानते हुए भी एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जो साफ हो। इससे राष्ट्रीय शैक्षिक स्थानांतरण, प्रवासी परिवारों और प्रतियोगी परीक्षाओं में आवेदन करने में आसानी होगी।
निष्कर्ष :
अब ध्यान इस बात पर होगा कि NCERT डिटेल में गाइडलाइन, इक्विवेलेंस मैट्रिक्स, समय सीमा और अपील करने का तरीका जारी करे। छात्रों और नौकरी ढूंढने वालों को जल्द ही एडमिशन और नौकरी के आवेदनों में आसानी देखने को मिलेगी, जबकि DRDO जैसी संस्थाओं की अप्रेंटिसशिप से स्किल्ड लोगों की संख्या बढ़ेगी।
