दिल्ली सरकार 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक 'सेवा-पखवाड़ा' मनाएगी. इसे एक बड़ा जन-अभियान बनाया जाएगा. इसमें कई काम होंगे, जैसे नई योजनाओं की शुरुआत, अस्पतालों में स्वास्थ्य जांच शिविर, सफाई अभियान, और लोगों की भागीदारी वाले कार्यक्रम. यह अभियान पूरे देश में चलेगा. इसका मकसद है कि सरकार की कल्याणकारी योजनाएं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे, लोग सफाई के प्रति जागरूक हों, और सेवा करने की भावना को बढ़ावा मिले.
सेवा-पखवाड़ा क्या है?
'सेवा-पखवाड़ा' प्रधानमंत्री के जन्मदिन (17 सितंबर) से लेकर गांधी जयंती (2 अक्टूबर) तक मनाया जाता है. इस दौरान केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और स्थानीय संगठन मिलकर सफाई, स्वास्थ्य और लोगों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने जैसे काम करते हैं. बीजेपी ने इसे एक राष्ट्रव्यापी अभियान के रूप में विकसित किया है. वे इसे सेवा करने की राजनीति और साफ-सुथरे प्रशासन से जोड़ते हैं.
दिल्ली में क्या-क्या शुरू होगा?
- दिल्ली के पांच बड़े अस्पतालों (गुरु गोबिंद सिंह, संजय गांधी मैमोरियल, आचार्य श्री भिक्षु, भगवान महावीर, श्री दादा देव मातृ एवं शिशु अस्पताल) में नए बिल्डिंग बनेंगे.
- बुराड़ी में 150 डायलिसिस मशीनें लगाई जाएंगी, जिससे किडनी के मरीजों को इलाज कराने में आसानी होगी.
- 101 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' खोले जाएंगे, जहां लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी.
- नेहरू बाल चिकित्सालय में बच्चों के लिए डीईआईसी सेंटर खुलेगा.
- टीबी को खत्म करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा.
- ऑर्गन ट्रांसप्लांट (अंग प्रत्यारोपण) के लिए एक पोर्टल शुरू किया जाएगा, जिससे जरूरतमंद लोगों को अंग मिलने में मदद मिलेगी.
- शिक्षा के क्षेत्र में तीन नए कोर्स शुरू होंगे: 'साइंस ऑफ लिविंग', 'नींव', और 'नरेंद्र मोदी सागा'.
- मुख्यमंत्री के नाम पर बने 'सीएम श्री स्कूल' 29 सितंबर को खोले जाएंगे.
- प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के लिए 'निपुण संकल्प' योजना लागू की जाएगी, जिससे उनकी पढ़ाई बेहतर हो सके.
- परिवहन और शहरी सेवाओं में नई बसें चलाई जाएंगी.
- पीओएस मशीनें लगाई जाएंगी, जिससे टिकट खरीदना आसान होगा.
- 23 सितंबर को नई अंतरराज्यीय बसें शुरू होंगी.
- 28 सितंबर को 100 नई बसें चलाई जाएंगी और बसों के रूट को बेहतर बनाया जाएगा.
- 564 MLD क्षमता का ओखला एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और सीवर से जुड़े कई प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे, जिससे दिल्ली में सीवेज की समस्या दूर होगी.
- नंद नगरी में 175 करोड़ रुपये की लागत से फ्लाईओवर बनेगा.
- राजपूताना राइफल्स के लिए एक फुटओवर ब्रिज (पैदल चलने वालों के लिए पुल) बनाया जाएगा.
- समाज कल्याण विभाग 50,000 बुजुर्गों को पेंशन देगा.
- देखभाल करने वालों के लिए सहायता योजना शुरू की जाएगी, जिससे जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सके.
- तीमारपुर में दृष्टिबाधित छात्राओं के लिए 'अटल दृष्टि गर्ल्स हॉस्टल' बनेगा, जिसमें 96 छात्राएं रह सकेंगी. इस पर 13.42 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
- नरेला में 'अटल आशा होम' बनेगा, जिसमें 220 लोग रह सकेंगे. इस पर 40.60 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
- पश्चिम विहार में 'सावित्रीबाई फुले वरिष्ठ नागरिक गृह' बनेगा, जिसमें 96 वरिष्ठ नागरिक रह सकेंगे. इस पर 10.64 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
- नरेला में फायर स्टेशन बनेगा और 24 क्विक रिस्पॉन्स व्हीकल (QRV) तैनात किए जाएंगे, ताकि आग लगने की घटनाओं पर तुरंत काबू पाया जा सके.
- 19 सितंबर को कला एवं संस्कृति विभाग 1000 मास पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित करेगा.
- एनडीएमसी (नई दिल्ली नगर पालिका परिषद) 10 किलोमीटर के कैनवस पर 'विकसित भारत के रंग, कला के संग' नाम से एक कार्यक्रम आयोजित करेगा, जिसमें लोग अपनी कला का प्रदर्शन कर सकेंगे.
- 'स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार' के तहत AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) और आरोग्य मंदिरों में महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य जांच की जाएगी.
- कर्तव्य पथ पर रक्तदान शिविर लगाया जाएगा, जिसमें 1000 यूनिट खून इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा गया है.
किसको मिलेगा फायदा?
इस अभियान से दृष्टिबाधित छात्राएं, दिव्यांगजन और वरिष्ठ नागरिकों को फायदा होगा, क्योंकि उनके लिए रहने और देखभाल की सुविधाएं दी जा रही हैं.
बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाएगा. टीबी को खत्म करने और डायलिसिस/आरोग्य जैसी सेवाएं भी दी जाएंगी, जिससे लोगों को स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी.इस अभियान का मुख्य उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाना है. साथ ही, लोगों को सफाई और पानी के बारे में जागरूक करना भी है.
कितना पैसा खर्च होगा?
दिल्ली सरकार 'सेवा-पखवाड़ा' के तहत लगभग 1,723 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का उद्घाटन और शिलान्यास करेगी.
'अटल दृष्टि' हॉस्टल पर 13.42 करोड़ रुपये, 'अटल आशा होम' पर 40.60 करोड़ रुपये और 'सावित्रीबाई फुले' वरिष्ठ नागरिक गृह पर 10.64 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.नरेला-बवाना में कचरे से ऊर्जा बनाने वाले प्लांट (3000 TPD) और ओखला प्लांट (2000 TPD) की क्षमता बढ़ाई जाएगी, जिससे कचरे का सही इस्तेमाल हो सके और हरित ऊर्जा को बढ़ावा मिले.
यह अभियान कैसे चलेगा?
यह पखवाड़ा 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा. इस दौरान अलग-अलग विभाग स्वास्थ्य जांच शिविर, सफाई अभियान, जल/पर्यावरण से जुड़े जागरूकता कार्यक्रम और सरकारी योजनाओं से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करेंगे.
दिल्ली में इसकी शुरुआत त्यागराज स्टेडियम में हुई, जहां कई योजनाओं का उद्घाटन किया गया.हर दिन के लिए अलग-अलग कार्यक्रम तय किए गए हैं, जिनमें अस्पताल, शिक्षा, परिवहन, जल-मल-निकासी, समाज कल्याण, अग्निशमन और जन-जागरण से जुड़े कार्यक्रम शामिल हैं.
सफलता कैसे मापी जाएगी?
- कितने अस्पताल, स्कूल, परिवहन, एसटीपी और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट समय पर पूरे हुए.
- 564 MLD एसटीपी, 150 डायलिसिस मशीनें और 24 QRV जैसी सुविधाएं कितनी चालू हुईं.
- कितने नए लोगों ने वृद्धावस्था पेंशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया (50,000 का लक्ष्य).
- टीबी और महिलाओं के स्वास्थ्य की कितनी जांच हुई.
- कितना रक्तदान हुआ (1000 यूनिट का लक्ष्य).
- कितने लोगों ने जन-जागरण कार्यक्रमों में भाग लिया (जैसे 10 किलोमीटर कैनवस पेंटिंग, स्वच्छता अभियान).
- कितने लोगों ने डिजिटल स्वयंसेवा की.
पारदर्शिता और लोगों की भागीदारी
यह अभियान सेवा करने की राजनीति और पारदर्शी प्रशासन पर जोर देता है, जिसमें तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा.
लोगों को रक्तदान, स्वास्थ्य शिविर, सफाई अभियान, कला/खेल आयोजन और 'NaMo App' जैसे डिजिटल माध्यमों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.दिल्ली में कर्तव्य पथ, एनडीएमसी लॉन और स्टेडियम जैसे सार्वजनिक स्थलों पर बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि लोगों की भागीदारी बढ़ाई जा सके.
पिछले अभियानों से सीख
'सेवा-पखवाड़ा' पिछले कई वर्षों से आयोजित किया जा रहा है, जिससे सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने, सफाई और जन-आंदोलन जैसे कामों को करने का तरीका विकसित हुआ है.
हर साल स्वास्थ्य शिविर, रक्तदान, स्वच्छता और 'वोकल फॉर लोकल/खादी' जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जिससे लोगों को इन गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.जिला और राज्य स्तर पर अलग-अलग संगठनों के साथ साझेदारी की जाती है और लोगों के साथ बातचीत की जाती है, जिससे सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से लागू किया जा सके.
सामाजिक न्याय और गरीबी/असमानता पर प्रभाव
दिल्ली के कार्यक्रमों में दृष्टिबाधित छात्राएं, दिव्यांगजन, वरिष्ठ नागरिक और बुजुर्ग पेंशनभोगी जैसे कमजोर वर्ग के लोगों को सीधा फायदा होगा, जो समाज को समावेशी बनाने की दिशा में एक अच्छा कदम है.
स्वास्थ्य जांच, टीबी उन्मूलन और डायलिसिस/आरोग्य जैसी सेवाओं से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से मिल सकेंगी और स्वास्थ्य न्याय को बढ़ावा मिलेगा.देश में पिछली बार बड़ी संख्या में गरीबों को बुनियादी सुविधाएं दी गईं और उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया, जो इस दृष्टिकोण की प्राथमिकता को दिखाता है.
संभावित चुनौतियां और कमियां
- इतने बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में अलग-अलग विभागों के बीच तालमेल बिठाना, सही समय पर निगरानी करना और रिपोर्टिंग की गुणवत्ता सुनिश्चित करना मुश्किल हो सकता है.
- यह अभियान इवेंट-प्रधान है, इसलिए लंबे समय तक लोगों को सेवाएं प्रदान करना एक चुनौती हो सकती है.
- राजनीतिक रूप से आयोजित किए जाने वाले राष्ट्रव्यापी अभियानों में प्रगति रिपोर्ट को सबूतों के आधार पर और पारदर्शी रखना जरूरी है, ताकि लोगों का विश्वास बना रहे.
संक्षिप्त कार्यक्रम:
- उद्घाटन/शिलान्यास: त्यागराज स्टेडियम सहित दिल्ली में कई परियोजनाएं और सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर लॉन्च किए जाएंगे.
- स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रम: अस्पताल में नए ब्लॉक, डायलिसिस, आरोग्य मंदिर, टीबी/महिला-स्वास्थ्य जांच और रक्तदान शिविर आयोजित किए जाएंगे.
- नागरिकों की भागीदारी: कर्तव्य पथ और एनडीएमसी लॉन पर कार्यक्रम, कला अभियान, स्वच्छता अभियान और 'वोकल फॉर लोकल/खादी' अभियान चलाए जाएंगे.


