लद्दाख में विरोध प्रदर्शनों के बीच सोनम वांगचुक की NGO का लाइसेंस रद्द

सरकार ने SEDMOL का विदेशी चंदा लाइसेंस बार-बार नियमों को तोड़ने के कारण रद्द कर दिया है।
सोनम वांगचुक ने शांति की अपील करने और गिरफ्तारी की बात कहने पर विवादों का जवाब दिया।
खबरों के मुताबिक, लेह में हुए हालिया प्रदर्शनों के बाद ये कार्रवाई की गई है।

मुख्य खबर:

  • केंद्र सरकार ने लद्दाख में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते सोनम वांगचुक के संगठन ‘स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SEDMOL)’ का विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (FCRA) रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। इसका मतलब है कि अब इस NGO को विदेश से मिलने वाले पैसे पर रोक लग जाएगी। सरकार का कहना है कि FCRA के नियमों का बार-बार उल्लंघन किया गया है, जिसके चलते ये फैसला लिया गया। इससे NGO और उसके समर्थकों में चिंता है। इस फैसले का सीधा असर NGO के चल रहे कामों और स्थानीय लोगों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर पड़ेगा, खासकर शिक्षा और सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों को इससे नुकसान होगा।
  • सोनम वांगचुक ने NDTV से बात करते हुए कहा कि उन्होंने लेह में तनाव के दौरान लद्दाखी और हिंदी में शांति बनाए रखने की अपील की थी। उन्होंने सरकार के इस आरोप को भी गलत बताया कि उन्होंने भीड़ को काबू किए बिना ही जगह छोड़ दी थी। उन्होंने ये भी कहा कि अगर उन्हें इस बात के लिए गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें खुशी होगी, जिससे पता चलता है कि वो लोगों की मांगों को लेकर कितने गंभीर हैं। खबरों में ये भी कहा गया है कि लेह में हाल ही में हुए प्रदर्शनों के दौरान स्थिति बिगड़ने के बाद प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी थी, जिसका असर इस फैसले पर भी दिखाई दे रहा है।
  • लद्दाख में लंबे समय से पूर्ण राज्य का दर्जा देने, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी और जमीन के अधिकार सुरक्षित करने और पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में विकास करने की मांग चल रही है। FCRA रद्द होने से न केवल NGO की आर्थिक आज़ादी पर असर पड़ेगा, बल्कि सामाजिक संगठनों को नियमों का पालन करने और स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करने में भी दिक्कत आएगी। जानकारों का मानना है कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता, समय पर अपील करने का मौका और लोगों के साथ भरोसेमंद बातचीत से ही किसी भी प्रशासनिक फैसले के असर को कम किया जा सकता है।

असर:

  • FCRA रद्द होने से NGO को विदेशी चंदा मिलना बंद हो जाएगा, जिससे उसके चल रहे कामों और नए कामों पर तुरंत असर पड़ेगा।
  • वांगचुक के बयानों से ये संदेश गया है कि हमें शांति से बातचीत करनी चाहिए और कानूनी तरीके अपनाने चाहिए, जिससे इलाके में तनाव कम हो सकता है।
  • प्रदर्शनों के बाद प्रशासन की सख्ती से पता चलता है कि सामाजिक संगठनों को नियमों का पालन करने पर ध्यान देना चाहिए।

निष्कर्ष:

अब सबकी नज़रें इस बात पर होंगी कि क्या NGO इस फैसले के खिलाफ अपील करता है, सरकार और लोगों के बीच बातचीत होती है या नहीं और लद्दाख की मांगों को पूरा करने के लिए कोई रास्ता निकाला जाता है या नहीं। इससे ये तय होगा कि विकास और संवैधानिक वादों के बीच कैसे संतुलन बनाया जाए।

Raviopedia

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