तेजस्वी यादव: क्रिकेटर से बिहार के उपमुख्यमंत्री तक का सफर

लालू-राबड़ी के सबसे छोटे बेटे, दो बार बिहार के उप-मुख्यमंत्री, और 2024 से बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता - तेजस्वी यादव का जीवन, कार्य और असर का विश्लेषण।

परिचय:

तेजस्वी प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में एक जाना-माना युवा चेहरा हैं। उन्होंने दो बार राज्य के उप-मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया और रोज़गार और अच्छे प्रशासन को हमेशा सबसे आगे रखा। वो लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के सबसे छोटे बेटे हैं और 2024 से बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
अगर एक वाक्य में उनकी पहचान बतानी हो, तो वो ये है: एक ऐसे नेता जिन्होंने रोज़गार को राजनीतिक बातचीत का मुद्दा बनाया, चाहे वो विपक्ष में हों या सरकार में।

जन्म और शुरुआती जीवन:

तेजस्वी यादव का जन्म 9 नवंबर, 1989 को बिहार के गोपालगंज में हुआ था। वो अपने नौ भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल (वसंत विहार) में हुई और फिर उन्होंने डीपीएस आरके पुरम में दाखिला लिया। लेकिन, उन्होंने खेल में अपना करियर बनाने के लिए जल्दी ही पढ़ाई छोड़ दी।
अपनी किशोरावस्था में ही उन्होंने क्रिकेट को अपना करियर चुना और दिल्ली की युवा टीमों में चुने गए। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून बचपन से ही था। उन्होंने इस खेल में अपना भविष्य बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।

करियर की शुरुआत:

  • क्रिकेट में, वो 2008 से 2012 तक इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की दिल्ली डेयरडेविल्स टीम के साथ रहे। उन्होंने झारखंड के लिए घरेलू क्रिकेट भी खेला। हालांकि, वो क्रिकेट में कुछ ख़ास नहीं कर पाए, लेकिन इस दौरान उन्होंने बहुत कुछ सीखा, जो बाद में उनके राजनीतिक जीवन में काम आया।
  • राजनीति में उनकी शुरुआत अपने परिवार की विरासत से हुई। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके बाद, 2015 में वो राघोपुर से विधायक चुने गए और बिहार के सबसे कम उम्र के उप-मुख्यमंत्री बने। राजनीति में आते ही उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई और लोगों के बीच लोकप्रिय हो गए।
  • अगस्त 2022 में, जब महागठबंधन की सरकार बनी, तो उन्होंने फिर से उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सत्ता में वापस आए। इस बार, वो पहले से ज़्यादा अनुभवी और परिपक्व थे।

मुख्य उपलब्धियाँ और योगदान:

  • 2015-2017 और 2022-जनवरी 2024 के दौरान उप-मुख्यमंत्री रहते हुए, उन्होंने सार्वजनिक निर्माण, वन एवं पर्यावरण जैसे विभागों की ज़िम्मेदारी संभाली। उन्होंने रोज़गार, बुनियादी ढांचे और शहरी विकास पर खास ध्यान दिया। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू हुईं, जिनसे राज्य का विकास हुआ।
  • 2020 के विधान सभा चुनाव में, RJD 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उन्होंने महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर बेरोज़गारी के मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया। उन्होंने युवाओं को रोज़गार देने का वादा किया और इस मुद्दे को चुनाव का केंद्र बनाया।
  • 2023-24 में, उन्होंने बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती की और नियुक्ति पत्र बांटने के कार्यक्रम आयोजित किए। इससे रोज़गार को लेकर बहस और तेज़ हो गई। हालांकि, इसका क्रेडिट लेने को लेकर जनता दल (यूनाइटेड) और RJD के बीच खींचतान भी देखने को मिली।
  • इंडियन एक्सप्रेस ने उन्हें 2020 और 2021 में 100 सबसे ताकतवर भारतीयों की सूची में शामिल किया, जो दिखाता है कि उनका प्रभाव तेज़ी से बढ़ रहा है।

विवाद और चुनौतियाँ:

  • 2017 में, IRCTC होटल टेंडर मामले में CBI/ED की जाँच शुरू हुई, जिसके बाद जनता दल (यूनाइटेड) और RJD का गठबंधन टूट गया और वो विपक्ष में चले गए। इन जाँचों ने उनकी छवि को थोड़ा नुकसान पहुंचाया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी लड़ाई जारी रखी।
  • रेलवे में कथित जॉब्स के बदले जमीन मामले में 2023-24 के दौरान उनसे पूछताछ हुई। ये मामला अभी अदालत में है। उन्होंने एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इसे राजनीतिक साज़िश बताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें जानबूझकर परेशान किया जा रहा है।
  • इन विवादों के बावजूद, वो सड़क पर और विधान सभा में बेरोज़गारी, सामाजिक न्याय और केंद्र-राज्य संबंधों के मुद्दों पर खुलकर बोलते रहे। उन्होंने इन मुद्दों को हमेशा उठाया और सरकार पर दबाव बनाए रखा।

समाज और देश पर असर:

  • उन्होंने 10 लाख नौकरियाँ देने का वादा किया, जिससे बिहार के युवाओं की उम्मीदें बढ़ गईं और दूसरी पार्टियों को भी रोज़गार पर ठोस वादे करने पड़े। उनके इस वादे ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया।
  • शिक्षकों की भर्ती जैसे बड़े अभियानों ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं, भर्ती में पारदर्शिता और शिक्षक समुदाय की उम्मीदों पर बहस छेड़ दी। इन मुद्दों पर खुलकर बात होने से लोगों में जागरूकता बढ़ी।
  • विपक्ष में रहते हुए भी, उन्होंने सड़क पर और विधान सभा में सरकार की नीतियों का विरोध किया और सरकार को जवाबदेह बनाने की कोशिश की।

विरासत:

  • तेजस्वी यादव की पहचान एक ऐसे नेता के तौर पर बन रही है जो रोज़गार, सामाजिक न्याय और युवाओं की राजनीति को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने लोगों को यह भरोसा दिलाया है कि वो उनके लिए काम करेंगे।
  • बिहार की पीढ़ीगत राजनीति में, उन्होंने क्रिकेट से मिले अनुशासन और आधुनिक चुनावी तकनीकों को पार्टी संगठन और जनसंपर्क में जोड़ा। उन्होंने पार्टी को नई दिशा दी और उसे आधुनिक बनाने में मदद की।
  • दो बार उप-मुख्यमंत्री और दो बार विपक्ष के नेता रहने का अनुभव उन्हें भविष्य के लिए तैयार करता है। उन्होंने सत्ता और विपक्ष दोनों में काम करने का अनुभव हासिल किया है, जो उन्हें एक बेहतर नेता बनाता है।

निष्कर्ष:

तेजस्वी यादव उस दौर की राजनीति की कहानी के हीरो हैं, जिसमें रोज़गार, पारदर्शिता और जवाबदेही को सबसे ज़्यादा महत्व दिया जा रहा है। इसलिए, वो बिहार और भारत के लोगों के दिलों में एक खास जगह रखते हैं।

मुख्य तथ्य:

  • जन्म: 9 नवंबर 1989, गोपालगंज, बिहार
  • परिवार: पिता लालू प्रसाद यादव, माता राबड़ी देवी
  • शिक्षा: डीपीएस वसंत विहार (शुरुआत), डीपीएस आरके पुरम; खेल के लिए पढ़ाई जल्दी छोड़ दी
  •  क्रिकेट: दिल्ली डेयरडेविल्स (2008–2012), झारखंड घरेलू क्रिकेट
  • पहली जीत: 2015, राघोपुर (विधान सभा)
  • पद: उप-मुख्यमंत्री (2015–2017; 10 अगस्त 2022–28 जनवरी 2024), विपक्ष के नेता (28 जुलाई 2017–9 अगस्त 2022; 16 फरवरी 2024–वर्तमान)
  • मुख्य बातें: रोज़गार, शिक्षक भर्ती, संगठन का डिजिटलीकरण
  • पहचान: इंडियन एक्सप्रेस “100 सबसे ताकतवर भारतीय” (2020, 2021)
  • शादी: 9 दिसंबर 2021 को राजश्री (रेचल गिडोनो) से

चर्चा के लिए सवाल:

1. क्या रोज़गार पर ध्यान देने वाली राजनीति बिहार में लंबे समय तक आर्थिक सुधार ला सकती है, या ये सिर्फ़ चुनाव जीतने का तरीका है?
2. शिक्षकों की बड़ी संख्या में भर्ती से शिक्षा की क्वालिटी और प्रशासन में पारदर्शिता पर कितना असर पड़ा है?
3. बार-बार राजनीतिक बदलाव होने के बावजूद, विपक्ष के नेता के तौर पर तेजस्वी यादव की रणनीति - सड़क पर विरोध और विधान सभा में अपनी बात रखना - कितनी असरदार रही है?


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