वित्त मंत्रालय ने सभी कर्मचारियों को एक खास मौका दिया है। जो कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में हैं, वे अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को चुन सकते हैं। इसके लिए आखिरी तारीख 30 सितंबर है।
सरकार ने यह भी कहा है कि जो लोग UPS चुन चुके हैं, वे कुछ खास शर्तों के साथ एक बार फिर से NPS में वापस जा सकते हैं। यह विकल्प कर्मचारियों को सोच-समझकर फैसला लेने का मौका देता है, ताकि वे यह तय कर सकें कि उन्हें पेंशन की सुरक्षा चाहिए या बाजार के हिसाब से मिलने वाला रिटर्न।
विस्तार से खबर:
- वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) में शामिल होने की आखिरी तारीख आज यानी 30 सितंबर 2025 है। यह स्कीम उन सभी केंद्रीय कर्मचारियों के लिए है जो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत आते हैं। सरकार ने यह समय-सीमा इसलिए तय की है ताकि सभी लंबित विकल्पों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके और रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा मिल सके।
- सरकार ने 24 जनवरी 2025 को UPS को लागू किया था। इसके बाद, कुछ कर्मचारियों ने UPS को चुना, लेकिन सरकार ने उन्हें एक और मौका दिया है। वे चाहें तो कुछ शर्तों के साथ NPS में वापस जा सकते हैं। लेकिन, UPS में शामिल होने की आखिरी तारीख आज ही है। इसके बाद, NPS में रहने वाले कर्मचारियों के लिए UPS का विकल्प हमेशा के लिए बंद हो जाएगा। सरकार का कहना है कि इससे पेंशन योजना के चुनाव में स्थिरता बनी रहेगी।
- वित्तीय जानकारों और पेंशन से जुड़े सलाहकारों का कहना है कि UPS और NPS में से किसी एक को चुनने का फैसला कर्मचारियों के भविष्य पर बहुत असर डालेगा। UPS में पेंशन की गारंटी होती है, जबकि NPS बाजार पर निर्भर करता है। इसलिए, कर्मचारियों को सोच-समझकर फैसला लेना चाहिए।
- जानकारों का यह भी कहना है कि कर्मचारियों को सिर्फ अपनी मौजूदा सैलरी को नहीं देखना चाहिए, बल्कि महंगाई, लंबी उम्र और परिवार की ज़रूरतों को भी ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए, आखिरी तारीख से पहले सभी कागजात अच्छी तरह से जांच लें और तभी कोई फैसला करें।
- पेंशन नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने भी कहा है कि आज के बाद UPS का विकल्प चुनने में देरी हो सकती है। इसलिए, जो कर्मचारी इसके लिए योग्य हैं, वे जल्द से जल्द अपना विकल्प दर्ज करा लें।
- मंत्रालय ने यह भी बताया है कि UPS से NPS में वापस जाने का विकल्प सिर्फ एक बार मिलेगा और इसके लिए कुछ शर्तें भी होंगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लोग बार-बार योजनाएं न बदलें और योजनाओं में स्थिरता बनी रहे।
- पिछले कुछ सालों से पेंशन योजनाओं को लेकर काफी चर्चा हो रही है। केंद्र और राज्य सरकारें अलग-अलग मॉडल पर विचार कर रही हैं। UPS को इसी बहस के बीच पेश किया गया है। UPS के समर्थकों का कहना है कि इससे रिटायरमेंट के बाद लोगों को एक निश्चित आय मिलती रहेगी, जबकि NPS के समर्थकों का कहना है कि इसमें निवेश करने के ज़्यादा विकल्प मिलते हैं और ज़्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है।
- आज की आखिरी तारीख का असर एचआर, पेरोल और पेंशन विभागों पर भी पड़ेगा। उन्हें समय पर मिले आवेदनों को जांचना होगा और उन्हें प्रोसेस करना होगा। कर्मचारियों के लिए यह चुनाव उनकी आर्थिक स्थिति, परिवार की ज़रूरतों और रिटायरमेंट से पहले के समय को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
- सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि जो कर्मचारी आज NPS में रहते हैं, उन्हें बाद में UPS में वापस आने का मौका नहीं मिलेगा। इसलिए, यह फैसला बहुत सोच-समझकर लेना होगा।
निष्कर्ष:
सरकार ने साफ कर दिया है कि UPS का विकल्प चुनने की समय-सीमा आज खत्म हो जाएगी। इसके बाद, पेंशन योजनाओं में स्थिरता आएगी और प्रोसेसिंग में तेज़ी आएगी। UPS से NPS में वापस जाने का विकल्प सीमित होगा और इसके लिए कुछ शर्तें भी होंगी। इसलिए, आने वाले हफ्तों में भी कर्मचारियों को सलाह दी जाएगी और उनके कागजात जांचे जाएंगे।
