मुख्य बातें:
- सुप्रीम कोर्ट ने असम भाजपा के एक वीडियो पर 'हेट स्पीच' (घृणा भाषण) के आरोप में एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका (application) पर नोटिस जारी किया है।
- याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह वीडियो एक विशेष समुदाय को निशाना बनाता है।
- अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को तय की है।
- इस मामले पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि इससे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप (blame) का दौर शुरू हो सकता है।
विस्तृत खबर:
सुप्रीम कोर्ट में एक अहम (important) मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने असम भाजपा के एक वीडियो को लेकर 'हेट स्पीच' की एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह नोटिस पूर्व जज (judge) अंजना प्रकाश और पत्रकार क़ुर्बान अली की याचिका पर जारी किया गया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की है।
मामला क्या है?
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि असम भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है। उनका कहना है कि इस वीडियो में एक समुदाय को गलत तरीके से दिखाया (portray) गया है और उसे बदनाम करने की कोशिश की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह वीडियो सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेशों का उल्लंघन (violation) है, जिसमें हेट स्पीच (घृणा भाषण) को रोकने के निर्देश दिए गए थे।
यह क्यों हुआ?
यह मामला इसलिए सामने आया क्योंकि याचिकाकर्ताओं का मानना है कि भाजपा का वीडियो एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने का काम कर रहा है। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
किस पर होगा असर?
इस मामले का असर कई चीजों पर पड़ सकता है। सबसे पहले, यह चुनावी माहौल को प्रभावित (affect) कर सकता है। अगर अदालत मानती है कि वीडियो में हेट स्पीच (घृणा भाषण) है, तो इससे भाजपा की छवि खराब हो सकती है। दूसरा, इस मामले का असर ऑनलाइन (online) राजनीतिक प्रचार पर भी पड़ेगा। अदालत सोशल मीडिया (social media) कंपनियों को राजनीतिक विज्ञापनों (advertisement) को लेकर सख्त नियम बनाने के लिए कह सकती है। तीसरा, इस मामले से सोशल मीडिया कंटेंट मॉडरेशन (social media content moderation) पर भी असर पड़ेगा।
पृष्ठभूमि :
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी करके न्यायिक समीक्षा का रास्ता खोल दिया है। अब अदालत यह तय करेगी कि क्या वीडियो में हेट स्पीच (घृणा भाषण) है या नहीं। अदालत यह भी देखेगी कि क्या वीडियो को हटाने और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जा सकते हैं। इस मामले का राजनीतिक माहौल पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि अदालत का फैसला राजनीतिक दलों (political parties) के भाषणों और प्रचार के तरीकों को प्रभावित कर सकता है।
आगे क्या हो सकता है?
अगली सुनवाई में अदालत कई अहम मुद्दों पर विचार कर सकती है। इनमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (social media platform) की जवाबदेही, राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी और पुलिस (police) कार्रवाई की सीमा जैसे मुद्दे शामिल हैं। अदालत इस मामले में दिशानिर्देश (guideline) जारी कर सकती है, जो भविष्य में हेट स्पीच (घृणा भाषण) से निपटने में मदद करेंगे।
